फरवरी का महीना आने के साथ ही अब गर्मी का अहसास भी होने लगा है। जहां जनवरी में पूरा उत्तर भारत भयंकर ठंड झेलता रहा, अब गर्मी के कहर की आशंका सताने लगी है।

फरवरी का तापमान अन्य दिनों के मुकाबले कुछ ज्यादा ही महसूस हुआ। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि इस बार गर्मी पुराने सभी रिकॉर्ड तोड़ सकती है।
ऐसे में फिर वही सवाल उठ रहा है कि क्या गर्मी पुराने रिकॉर्ड तोड़ देगी। ऐसे हालात में गौर करते हैं विशेषज्ञों की रिसर्च और उनकी ओर से दिए गए लगातार संदेशों की जिसने हर मोड़ पर हमें चेताया है।
हाल ही में आईआईटी खड़गपुर ने लंबे अध्ययन में सचेत किया कि भारतीय गांवों की अपेक्षा शहरों में ज्यादा गर्मी बढ़ रही है। देश के गांवों के मुकाबले शहर ज्यादा गर्म हो रहे हैं।
इस समस्या को वैज्ञानिकों की भाषा में अर्बन हीट आइलैंड कहा जाता है। यह खुलासा आईआईटी खड़गपुर के शोधकर्ताओं ने 16 साल तक देश के 44 शहरों में रिसर्च के बाद किया है।
आईआईटी के मुताबिक ये गर्मी भविष्य के लिए बहुत बड़ा खतरा हो सकती है। हालांकि पुणे, कोलकाता, गुवाहाटी जैसे शहरों में हरियाली के कारण गर्मी कुछ हद तक काबू में है।
शहरों में बढ़ती गर्मी की वजह है यहां इस्तेमाल की जाने वाली भवन सामग्री। ये सूर्य से ऊर्जा को सोखती है जिससे गर्मी बढ़ रही है। डामर, स्टील, ईंट जैसे पदार्थ गहरे काले, भूरे रंग के होते हैं जो प्रकाश ऊर्जा की तरंगों को जल्दी अवशोषित करते हैं।
फिर इसे ऊर्जा में बदल देते हैं। इसलिए ये चीजें गर्म हो जाती हैं। दूसरी ओर पेड़ों की बेतहाशा कटाई और लगातार बन रहीं पक्की सड़कें भी तापमान को बढ़ाने में भूमिका अदा कर रही हैं।
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