इलाहाबाद। माघ व कुंभ मेला खत्म होने के साथ ही संगम को उदास छोड़ देने की सोच से अब बाहर आने की जरूरत है। वजह यह कि कुंभ अब दुनिया की सांस्कृतिक धरोहर भी है। वैसे तो सरकार कुंभ की ब्रांडिंग में जुट गई है लेकिन, माघ मेला खत्म होने के साथ ही संगम क्षेत्र की रौनक घटने लगी है। यदि संगम क्षेत्र और परेड में सुविधा को व्यवस्थित कर दिया जाए तो ये कुंभ की ब्रांडिंग के ध्वजवाहक बन जाएंगे।
हर साल माघ मेला समाप्ति के बाद संगम क्षेत्र लावारिस छोड़ दिया जाता है। उसकी सुध न अधिकारी लेते हैं, न नेता और न स्वयंसेवी संस्थाएं, जबकि संगम में प्रतिदिन श्रद्धालु स्नान करने आते हैं। इसमें स्थानीयों के साथ देश-विदेश के श्रद्धालु रहते हैं। यहां आने वाले मन में अच्छी छवि लेकर नहीं लौटते। जगद्गुरु स्वामी महेशाश्रम कहते हैं कि सरकार कुंभ की ब्रांडिंग करने में जुटी है, अगर संगम क्षेत्र की सुंदरता, स्वच्छता, सुरक्षा व प्रकाश की सुविधा कायम रखे तो प्रयाग आने वाले पर्यटकों का संगम से बेहतर जुड़ाव होगा।
सुविधा बनाने से आएंगे पर्यटक : नरेंद्र गिरि
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि का कहना है कि प्रशासन को संगम क्षेत्र की सुंदरता एवं श्रद्धालुओं की सुविधा को लेकर काम करना चाहिए। इससे कुंभ की बड़ी ब्रांडिंग होगी।
बनाए रखेंगे सुंदरता : विजय किरन
कुंभ मेलाधिकारी विजय किरन आनंद का कहना है कि जून तक संगम तट की सुंदरता बनाए रखने को हम गंभीर हैं। घाट पर स्वच्छता, प्रकाश, शौचालय व पेयजल का उचित प्रबंध जारी रखा जाएगा, ताकि श्रद्धालुओं को दिक्कत न होने पाए।
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