नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना में काम रोकने की मांग वाली याचिका को राष्ट्रीय महत्व की परियोजना बताते हुए खारिज कर दिया। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर एक लाख का जुर्माना भी लगाया।
मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने कहा कि चल रही परियोजना जनता के लिए महत्वपूर्ण है। कोर्ट ने कहा, “यह राष्ट्रीय महत्व की एक आवश्यक परियोजना है। जनता की इस परियोजना में गहरी दिलचस्पी है।” कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही सेंट्रल विस्टा के निर्माण को हरी झंडी दे चुका है।
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि निर्माण कार्य में लगे मज़दूर उसी जगह पर रह रहे हैं, ऐसे में निर्माण कार्य को रोकने का कोई औचित्य नहीं बनता। कोर्ट ने कहा कि कंस्ट्रेक्शन में DDMA के 19 अप्रैल के आदेश का उल्लंघन नहीं हो रहा।
दिल्ली हाई कोर्ट का फैसला अदालत में अनुवादक के रूप में काम करने वाली अन्या मल्होत्रा , एक इतिहासकार और वृत्तचित्र फिल्म निर्माता सोहेल हाशमी की याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रखने के दो सप्ताह बाद आया है, जिन्होंने चल रही परियोजना को रोकने के लिए कहा था। उन्होंने यह तर्क दिया था कि परियोजना आवश्यक गतिविधि के अंतर्गत नहीं आती है और कोविड-19 के प्रकोप के दौरान इसे रोका जा सकता है।