दिल्ली की सड़कों-गलियों में आवारा कुत्तों का खौफ, काटने पर 1500 से अधिक लोग रोजाना पहुंच रहे अस्पताल

अस्पतालों में कुत्तों के काटने पर रोजाना औसतन 1500 से अधिक लोग उपचार के लिए पहुंच रहे हैं। इसमें अकेले सफदरजंग अस्पताल में 700-800 लोग कुत्ते के काटने पर टीकाकरण के लिए आते हैं। जबकि दिल्ली के दूसरे अस्पतालों में प्रतिदिन 100-150 की तादाद में लोग कुत्ते के काटने पर उपचार के लिए आते हैं।

दिल्ली में कुत्ते के हमले का सबसे ज्यादा शिकार बच्चे और युवा होते हैं। अस्पतालों में कुत्तों के काटने पर रोजाना औसतन 1500 से अधिक लोग उपचार के लिए पहुंच रहे हैं। इसमें अकेले सफदरजंग अस्पताल में 700-800 लोग कुत्ते के काटने पर टीकाकरण के लिए आते हैं। जबकि दिल्ली के दूसरे अस्पतालों में प्रतिदिन 100-150 की तादाद में लोग कुत्ते के काटने पर उपचार के लिए आते हैं। इसमें नए और पुराने मामले भी शामिल हैं।

डॉ. राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल के एंटी रेबीज वैक्सीनेशन सेंटर के प्रभारी डॉ. देबाशीष परमार ने बताया, अस्पताल में रोजाना 150-200 लोग कुत्ते के काटने के बाद टीकाकरण के लिए आते हैं। इनमें ज्यादातर 14 साल से कम उम्र के बच्चे और युवा शामिल होते हैं। उन्होंने कहा, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कुत्ते के काटने पर एंटी रेबीज वैक्सीनेशन लगाने के लिए तीन पैमाने बनाए हैं। इसमें पहले चरण में अगर सिर्फ कुत्ते ने जीभ से चाटा है तो उस स्थिति में कोई वैक्सीनेशन नहीं होगा। दूसरी स्थिति में कुत्ते के काटने पर त्वचा पर खरोंच या काटे जाने का निशान है तो उस स्थिति में एंटी रेबीज वैक्सीनेशन लगेगा।

तीसरी स्थिति में अगर कुत्ते के काटने से संबंधित जगह पर खून का रिसाव और जख्म हो गया है तो उसमें एंटी रेबीज वैक्सीनेशन और एंटी रेबीज सीरम लगाया जाएगा। वैक्सीनेशन देने के बाद संक्रमण से बचाव के लिए एंटीबॉडी बनती है। इसमें आठ से दस दिन लगते है। एंटी रेबीज सीरम घाव में डाला और लगाया जाता है। इसका तुरंत प्रभाव होता है। सीरम सिर्फ एक बार लगता है। जबकि एंटी रेबीज वैक्सीनेशन की चार डोज लगती है। पहली डोज शून्य से एक दिन के बीच में, दूसरे डोज शून्य से तीन दिन में, तीसरी डोज शून्य से सात दिन के अंदर और आखिरी डोज शून्य से 28 दिन की अवधि में लगती है। रेबीज से बचाव के लिए सभी डोज जरूरी है। वरना वैक्सीनेशन अधूरा माना जाएगा और रेबीज होने की संभावना बनी रहेगी। अगर किसी को रेबीज होता है तो उसकी मौत निश्चित है।

पालतू कुत्ते के काटने पर भी वैक्सीनेशन जरूरी
उन्होंने कहा कि अगर किसी को कोई पालतू कुत्ता भी काट ले तो उस स्थिति में भी एंटी रेबीज वैक्सीनेशन जरूरी है। इस संबंध में दिशा-निर्देश हैं। अक्सर लोग मानते हैं कि पालतू कुत्ते का टीकाकरण हो रखा है। लेकिन उस टीकाकरण की प्रतिरोधक क्षमता कितनी असरदार और किस गुणवत्ता का टीकाकरण कुत्ते का कराया गया वह जरूरी है। ऐसे में पालतू कुत्ते के काटने पर भी सौ फीसदी टीकाकरण सुनिश्चित करें।

अस्पताल में बना है डॉग बाइट क्लीनिक
स्वामी दयानंद अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. ग्लैडबिन त्यागी ने बताया कि टीकाकरण के लिए अस्पताल में डॉग बाइट क्लीनिक बना है। इसमें रोजाना 150 के आसपास लोग टीकाकरण के लिए आते है। ज्यादातर लावारिस कुत्ते के काटने का शिकार होते है। कुत्ता काटने के 24 घंटे के अंदर टीकाकरण जरूरी है। कुत्ते के काटने पर हुए जख्म पर मिर्च और तेल बिल्कुल न लगाएं।

इनके काटने से भी होता है रेबीज
लोकनायक अस्पताल की उप चिकित्सा अधीक्षक डॉ. रितु सक्सेना ने बताया, उनके यहां पर रोजाना 100-120 लोग एंटी रेबीज वैक्सीनेशन के लिए पहुंचते हैं। इसमें कुत्ते काटने के नए और पुराने मामले शामिल हैं। वैक्सीनेशन के लिए आने वालों में ज्यादातर बच्चे हैं। इसके अलावा युवा और बुजुर्ग भी आते हैं। अस्पताल में एंटी रेबीज सीरम लगाने की भी व्यवस्था है। वहीं रेबीज कुत्ता, बिल्ली, बंदर, लोमड़ी, शेर, चमगादड़, नेवला सहित दूसरे जंगली जीवों के काटने से भी होता है।

सफदरजंग अस्पताल के एक अधिकारी ने बताया कि उनके अस्पताल में अगस्त महीने के पहले छह दिन में कुत्ते के काटने के करीब 4,659 लोग पहुंचे। इस वर्ष जनवरी से जुलाई के बीच में एंटी रेबीज वैक्सीन की लगभग 1,33,010 वैक्सीन डोज लगाई गई।

कुत्ते के काटने पर यह करें
सबसे पहले घाव वाली जगह को साबुन और नल से चलते हुए पानी से 10-15 मिनट तक धोए
घाव को धोने के लिए एंटीसेप्टिक डिटॉल और सेवलॉन का इस्तेमाल भी कर सकते हैं
तुरंत 24 घंटे के अंदर किसी नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर टीकाकरण सुनिश्चित करें
टीकाकरण होने पर तेल-मसाले वाली चीजों को न खाएं
टीकाकरण की अवधि तक धूम्रपान न करें

कुत्ते काटने का शिकार हुए लोगों का दर्द
सोसाइटी से काम करके घर लौट रहा था। अचानक सोसाइटी के पास में रहने वाले कुत्ते ने पीछे से पैर में काट लिया। अब रात को घर लौटते समय हर वक्त डर बना रहता है। इनकी रोकथाम के लिए कोई कदम उठाया जा रहा है तो उसका समर्थन करता हूं।-बनवारी, रोहिणी सेक्टर-9

बहन के साथ बाजार जा रही थी। एकदम कुत्ता भौंकते हुए आया और पैर पर दो जगह काट लिया। अलग-अलग समय पर इंजेक्शन लगवाने का दर्द झेली। सड़कों से लावारिस कुत्तों को हटाने के लिए कार्रवाई जरूरी है।-प्रियंका शर्मा, सर्कुलर रोड

दफ्तर से लौटकर रात को बाइक से घर आ रहा था। अचानक कुत्ते ने हमला कर काट लिया। एक महीने में चार इंजेक्शन लगवाने पड़े। अवारा कुत्तों को सड़कों और कॉलोनियों से हटाने का सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का समर्थन करता हूं। –अंकित, नवीन शाहदरा

मुझे घर के पालतू कुत्ते ने काटा था। हालांकि उस कुत्ते का टीकाकरण हो रखा था। लेकिन सुरक्षा के चलते टीकाकरण करवाया था। लावारिस कुत्तों को सड़कों से हटाना उचित नहीं है। उनके रहने-खाने की व्यवस्था को लेकर असमंजस की स्थिति है।-लोकेश,सीताराम बाजार

कुत्ते के काटने से बचने के चक्कर में पहुंचे अस्पताल
कुत्ते के काटने से बचने के चक्कर में 57 वर्षीय बुजुर्ग को 14 दिन तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा। शक्ति नगर निवासी वरुण गुप्ता ने बताया कि उनके पिता सुबह सैर कर के स्कूटी से घर लौट रहे थे। साथ में उनके दोस्त भी थे। अचानकर सात-आठ कुत्ते स्कूटी के पीछे दौड़ पड़े। घबराहट में वह स्कूटी लेकर गिर गए। उपचार के लिए सात दिन आईसीयू में और सात दिन वार्ड में भर्ती रहे। स्कूटी से गिरने की वजह से उनके सिर पर काफी चोट आई और ब्रेन हैमरेज हो गया। उनके साथ स्कूटी पर बैठ दोस्त के पैर में भी फ्रैक्चर हो गया है। सुप्रीम कोर्ट के कुत्तों के हटाने के दिशा-निर्देशों का पूरा समर्थन करता हूं।

शेल्टर होम्स में कुत्तों की लड़ाई और प्रजनन रोकेगी एमसीडी
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एमसीडी ने सड़कों से लावारिस कुत्तों को हटाने और उन्हें सुरक्षित शेल्टर होम में रखने की प्रक्रिया को व्यवस्थित बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। एमसीडी का दावा है कि कुत्तों को पकड़ने और रखने की व्यवस्था ऐसी होगी जिसमें आपसी लड़ाई की नौबत नहीं आएगी। मेल व फीमेल कुत्तों को अलग-अलग रखा जाएगा। इससे प्रजनन पर लगाम लगेगी।

एमसीडी के अनुसार, शेल्टर होम्स में किसी खास इलाके से पकड़े गए कुत्तों को उसी इलाके के अन्य कुत्तों के साथ रखा जाएगा। अपरिचित कुत्तों के साथ बंद करने पर वे आक्रामक हो सकते हैं। ऐसे में एक जगहों के कुत्तों के साथ ही रखा जाएगा। एमसीडी ने अपने शेल्टर होम के कर्मचारियों को इसके लिए विशेष प्रशिक्षण देने की भी योजना बनाई है ताकि वे कुत्तों के व्यवहार की पहचान कर सकें और जरूरत पड़ने पर तुरंत हस्तक्षेप कर सकें।

इधर, एमसीडी की चिंता कुत्तों की तेजी से बढ़ती संख्या भी है। फिलहाल, एमसीडी के पास बड़े पैमाने पर नसबंदी की पर्याप्त सुविधा नहीं है। इसे देखते हुए मेल व फीमेल कुत्तों को अलग-अलग बाड़ों में रखा जाएगा। इससे तब तक प्रजनन रोका जा सकेगा जब तक नसबंदी की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती।

नसबंदी होगी प्राथमिकता
शेल्टर होम में आने के बाद सभी कुत्तों की स्वास्थ्य जांच की जाएगी और नसबंदी को प्राथमिकता दी जाएगी। एमसीडी का लक्ष्य है कि अधिकतम कुछ ही हफ्तों में सभी पकड़े गए कुत्तों की नसबंदी हो जाए। इसके लिए एमसीडी निजी पशु चिकित्सालयों और एनजीओ की मदद लेने पर भी विचार कर रही है। नसबंदी से न केवल कुत्तों की संख्या नियंत्रित करेगी बल्कि उनके आक्रामक व्यवहार में भी कमी लाएगी।

मानवीय दृष्टिकोण अपनाया जाएगा
एमसीडी के मुताबिक, पूरी प्रक्रिया में कुत्तों को पर्याप्त खाना, साफ पानी, आरामदायक जगह और चिकित्सकीय सुविधा दी जाएगी। बीमार या घायल कुत्तों के लिए विशेष उपचार व्यवस्था भी होगी। इस तरह से न केवल सड़कों से कुत्तों की संख्या घटेगी बल्कि मानवीय व्यवहार भी सुनिश्चित होगा।

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