वैज्ञानिकों ने ऐसा पदार्थ विकसित किया है जिससे दांत की परत (इनेमल) को दोबारा बनाने में मदद मिल सकती है। इससे दांतों की सड़न और उनमें महसूस होने वाली झनझनाहट को भी रोका जा सकेगा। दांतों के बाहरी हिस्से पर मौजूद इनेमल शरीर के सबसे सख्त उत्तक होते हैं। अम्लीय खाना, पेय पदार्थों से संपर्क या अत्यधिक तापमान बर्दाश्त करने या बहुत ठोस चीजें चबाने के बावजूद हमारे दांत बहुत लंबे समय तक काम कर पाते हैं तो इसी परत की वजह से। दांतों की बेहद संगठित संरचना के कारण वह इतने सारे काम कर पाते हैं। हालांकि शरीर के दूसरे उत्तकों से उलट यह परत एक बार नष्ट हो जाने के बाद फिर से नहीं बन पाती है। इससे दांत टूटने लगते हैं और उनमें दर्द रहता है। यह समस्या दुनिया की 50 प्रतिशत आबादी को प्रभावित करती है। इसलिए इस परत को फिर से बना पाने के तरीके तलाशना दंतचिकित्सा की एक बहुत बड़ी जरूरत बन गया था। यह अध्ययन नेचर कम्युनिकेशन्स पत्रिका में प्रकाशित हुआ है जिनमें कृत्रिम पदार्थ बनाने की नई तकनीक विकसित करने के संबंध में जानकारी दी गई है। इस अध्ययन से दांतों का खराब होना बीते जमाने की बात हो जाएगा।

दांतों की सड़न और झनझनाहट से छुटकारा दिलाएगा नया पदार्थ

वैज्ञानिकों ने ऐसा पदार्थ विकसित किया है जिससे दांत की परत (इनेमल) को दोबारा बनाने में मदद मिल सकती है। इससे दांतों की सड़न और उनमें महसूस होने वाली झनझनाहट को भी रोका जा सकेगा। वैज्ञानिकों ने ऐसा पदार्थ विकसित किया है जिससे दांत की परत (इनेमल) को दोबारा बनाने में मदद मिल सकती है। इससे दांतों की सड़न और उनमें महसूस होने वाली झनझनाहट को भी रोका जा सकेगा।   दांतों के बाहरी हिस्से पर मौजूद इनेमल शरीर के सबसे सख्त उत्तक होते हैं। अम्लीय खाना, पेय पदार्थों से संपर्क या अत्यधिक तापमान बर्दाश्त करने या बहुत ठोस चीजें चबाने के बावजूद हमारे दांत बहुत लंबे समय तक काम कर पाते हैं तो इसी परत की वजह से। दांतों की बेहद संगठित संरचना के कारण वह इतने सारे काम कर पाते हैं।   हालांकि शरीर के दूसरे उत्तकों से उलट यह परत एक बार नष्ट हो जाने के बाद फिर से नहीं बन पाती है। इससे दांत टूटने लगते हैं और उनमें दर्द रहता है। यह समस्या दुनिया की 50 प्रतिशत आबादी को प्रभावित करती है। इसलिए इस परत को फिर से बना पाने के तरीके तलाशना दंतचिकित्सा की एक बहुत बड़ी जरूरत बन गया था।  यह अध्ययन नेचर कम्युनिकेशन्स  पत्रिका में प्रकाशित हुआ है जिनमें कृत्रिम पदार्थ बनाने की नई तकनीक विकसित करने के संबंध में जानकारी दी गई है। इस अध्ययन से दांतों का खराब होना बीते जमाने की बात हो जाएगा।

दांतों के बाहरी हिस्से पर मौजूद इनेमल शरीर के सबसे सख्त उत्तक होते हैं। अम्लीय खाना, पेय पदार्थों से संपर्क या अत्यधिक तापमान बर्दाश्त करने या बहुत ठोस चीजें चबाने के बावजूद हमारे दांत बहुत लंबे समय तक काम कर पाते हैं तो इसी परत की वजह से। दांतों की बेहद संगठित संरचना के कारण वह इतने सारे काम कर पाते हैं। 

हालांकि शरीर के दूसरे उत्तकों से उलट यह परत एक बार नष्ट हो जाने के बाद फिर से नहीं बन पाती है। इससे दांत टूटने लगते हैं और उनमें दर्द रहता है। यह समस्या दुनिया की 50 प्रतिशत आबादी को प्रभावित करती है। इसलिए इस परत को फिर से बना पाने के तरीके तलाशना दंतचिकित्सा की एक बहुत बड़ी जरूरत बन गया था।

यह अध्ययन नेचर कम्युनिकेशन्स  पत्रिका में प्रकाशित हुआ है जिनमें कृत्रिम पदार्थ बनाने की नई तकनीक विकसित करने के संबंध में जानकारी दी गई है। इस अध्ययन से दांतों का खराब होना बीते जमाने की बात हो जाएगा। 

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