जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के तरंग में छात्र-छात्राओं के स्वास्थ्य परीक्षण रहे जूनियर डॉक्टर एक बच्ची को देखकर हैरान रह गए। जूनियर डॉक्टरों ने जब वरिष्ठ चिकित्सकों को जानकारी तो उन्होंने बताया यह बड़ी ही दुर्लभ बीमारी है और दस लाख में किसी एक बच्चे में यह मिलती है। इस बीमारी को टकायासू कहा जाता है।
नसों की होती है यह बीमारी
बाल रोग विभागाध्यक्ष डॉ. यशवंत राव एवं विभाग के प्रो. एके आर्या ने बताया कि बच्ची को दुर्लभ बीमारी है। अभी तक ऐसे चार केस ही देखे गए हैं। टकायासू नसों की बीमारी है, जिसमें उम्र बढऩे के साथ शरीर में रक्त का संचार प्रभावित होने लगता है। इस वजह से अल्सर एवं अन्य जटिलताएं होती हैं। उच्च चिकित्सीय संस्थाओं में ही इसका इलाज संभव है।
पल्सलेस होता है मरीज
बेनाझाबर के स्कूल में पढऩे वाली 14 वर्षीय छात्रा की जांच के दौरान हाथ-पैर एवं गले पल्स ही नहीं मिल रही थी। इस वजह से उसका ब्लड प्रेशर भी नहीं शो हो रहा था। पल्सलेस बच्ची को देखकर डॉक्टर पसोपेश में पड़ गए। दुर्लभ बीमारी टकायासू से पीडि़त बच्ची को देखने के लिए अन्य डॉक्टर भी पहुंच गए और वरिष्ठ चिकित्सकों से परामर्श किया।
डॉक्टरों ने बच्ची को आगे के परीक्षण के लिए दोबारा बुलाया है। हृदय रोग संस्थान में उसका गहन परीक्षण कराया जाएगा। उसकी नर्सों का ब्लॉकेज जानने के लिए एंजियोग्राफी जांच कराई जाएगी। फिलहाल बच्ची को किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं है। वह ठीक से चल-फिर रही है और उसका दिमाग भी पूरी तरह कार्य कर रहा है। डॉक्टरों के मुताबिक ऐसी दुर्लभ बीमारी दस लाख बच्चों में से किसी एक को होती है।