बिहार में मॉनसून के जाते ही दक्षिणी हिस्से में नदियां सूखने लगी हैं। एक तरफ उत्तर बिहार की नदियों में काफी पानी है तो दूसरी तरफ दक्षिण बिहार की नदियां सूख रही हैं। दक्षिण बिहार और झारखंड से सटे इलाकों में पर्याप्त बारिश नहीं हुई। इस कारण यहां की नदियों की स्थिति बदतर है। इनमें पानी नहीं बचा है। बिहार के दक्षिणी जिलों में भूगर्भ जल का स्तर भी काफी नीचे है। इस कारण नदियों में पानी कम होते ही जलस्तर नीचे चला जा रहा है। यह चिंता का विषय बन गया है।
एक तरफ नेपाल और उत्तर बिहार के मैदानी इलाके में बारिश के कारण नदियां लबालब हैं। नेपाल में तो हाल तक बारिश हुई, जिससे उत्तर बिहार की नदियों में अभी तक पानी है। दूसरी ओर, दक्षिण बिहार की नदियों में जलस्तर मेन्टेन नहीं हो पा रहा है। नदियों के इस बदलते व्यवहार पर विशेषज्ञ भी हैरान हैं। जानकार इसे किसी बड़े खतरा के संकेत मान रहे हैं।
क्या कहते हैं जल विशेषज्ञ
नदियों का यह व्यवहार बड़े खतरे का सूचक है। खासकर दक्षिण बिहार बड़े खतरे की ओर बढ़ रहा है। नदियों का इतना जल्दी सूखना, चिंता की बात है। लेकिन यह अस्वाभाविक नहीं है। हमने खुद ऐसी परिस्थिति पैदा की है। दक्षिण बिहार में भूगर्भ जल का स्तर बनाए रखने और सिंचाई के लिए आहर-पईन सबसे बड़े स्रोत थे। इनमें जुलाई से अक्टूबर तक भरपूर पानी रहता था। इससे भूगर्भ जल भी ठीक रहता था, लोग सिंचाई भी करते थे। बाद में इसका पानी निकाल देते थे। इससे इनमें कादो शेष रहता था। इससे रबी की खेती होती थी। लेकिन धीरे-धीरे ये खत्म हो गए।
वैष्णोदेवी यूनिवर्सिटी के वीसी आरके सिन्हा का कहना है कि इससे कई तरह की समस्या उत्पन्न हो गई। भूगर्भ जल प्रभावित हुआ। जलस्तर काफी नीचे चला गया। सिंचाई नहीं हो पा रही। रबी की खेती प्रभावित हुई और अब इसका असर नदियों पर पड़ने लगा है। ऐसी स्थिति रही तो दक्षिण बिहार में पेयजल का भी संकट हो सकता है।
बांका, भागलपुर, गया व नालंदा में नदियां सूख गई हैं। मानसून अवधि बीतने के बाद 6 नदियां पूरी तरह सूख चुकी हैं जबकि 5 में तो पानी मापने के योग्य भी नहीं है। जल संसाधन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार बांका में चिरगेरुआ, भागलपुर में खलखलिया, गया में जमुने व मोरहर, नालंदा में मोहाने व नोनई में पानी नहीं है। ये नदियां पूरी तरह सूख चुकी हैं। जबकि दरभंगा के जीवछ, गोपालगंज में झरही, कटिहार में कारी कोसी, मधुबनी में थोमाने व सीतामढ़ी में मोरहा में पानी तेजी से नीचे चला गया है। इन्हें मापा भी नहीं जा सकता है। यहां पानी में कोई बहाव भी नहीं है। ये नदियां भी तेजी से सूख रही हैं।