तीनों कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की घोषणा के बाद मुस्लिम नेताओं ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को भी निरस्त किए जाने की मांग की है। जमात-ए-इस्लामी हिंद के अध्यक्ष सैयद सदातुल्लाह हुसैनी ने कहा, हम अब सरकार से सीएए-एनआरसी जैसे अन्य कानूनों पर भी विचार करने का आग्रह करते हैं। इन कानूनों को भी जल्द से जल्द वापस लिया जाना चहिए। हमें खुशी है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आखिरकार किसानों की मांगों को मान लिया है।

वहीं, जमीयत उलमा-ए-हिंद के प्रमुख अरशद मदनी ने कृषि कानूनों को निरस्त करने के फैसले का स्वागत करते हुए कहा, सीएए के खिलाफ हुए आंदोलन ने किसानों को कानूनों के खिलाफ विरोध करने के लिए प्रोत्साहित किया था। सरकार को अब सीएए कानून भी वापस लेना चाहिए। शुक्रवार को देवबंद में जारी बयान में मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि कृषि कानून वापसी के फैसले ने यह साबित कर दिया है कि लोकतंत्र और लोगों की शक्ति सर्वोपरि है। जो लोग सोचते हैं कि सरकार और संसद अधिक शक्तिशाली हैं, वह बिल्कुल गलत हैं। जनता ने एक बार फिर किसानों के रूप में अपनी ताकत का परिचय दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि इस आंदोलन की सफलता यह भी सीख देती है कि किसी भी जन आंदोलन को जबरदस्ती कुचला नहीं जा सकता है।
इनके अलावा मजलिस-ए-मुशावरत के प्रमुख नावेद हमीद ने भी कहा कि सीएए और यूएपीए सहित सभी कड़े कानूनों को वापस लेने की जरूरत है। बता दें कि बीते दिन पीएम नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को रद करने के सरकार के फैसले को सबके सामने रखा। इससे किसान बेहद खुश दिखे। वहीं, उनका कहना है कि जब तक कानून संसद से निरस्त नहीं किए जाते, तब तक वे सड़कों पर जमे रहेंगे। पीएम मोदी ने शुक्रवार को कहा था कि वे अब अपने घर जाएं।
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