तिहाड़ जेल में उगाही रैकेट चलाने के आरोपी नौ अधिकारियों का निलंबन और तबादला

मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेदेला की खंडपीठ ने दिल्ली सरकार और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को इस मामले में स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए आठ सप्ताह का समय दिया।

दिल्ली हाईकोर्ट को बुधवार को सूचित किया गया कि तिहाड़ जेल के नौ अधिकारियों को जेल के अंदर कैदियों के साथ मिलकर कथित तौर पर उगाही रैकेट चलाने के आरोप में निलंबित और स्थानांतरित किया गया है। मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेदेला की खंडपीठ ने दिल्ली सरकार और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को इस मामले में स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए आठ सप्ताह का समय दिया। सुनवाई को 28 अक्टूबर के लिए निर्धारित किया।

आरोप सामने आने के बाद, दिल्ली सरकार ने कहा कि उसने नौ जेल अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की है, जिन्हें संबंधित नियमों के तहत निलंबित और स्थानांतरित किया गया है। खंडपीठ ने सरकार को निर्देश दिया कि वह तिहाड़, मंडोली और रोहिणी सहित दिल्ली की सभी जेलों में अपना परामर्श पत्र प्रसारित करें।

यह मामला पूर्व कैदी की ओर से दायर याचिका से संबंधित है, जिसमें तिहाड़ जेल के अंदर उगाही और कैदियों की सुरक्षा से जुड़े मुद्दों का आरोप लगाया गया था। खंडपीठ ने पहले सीबीआई को इन आरोपों की प्रारंभिक जांच करने का आदेश दिया था। जांच रिपोर्ट में कैदियों और जेल अधिकारियों की अवैध और भ्रष्ट गतिविधियों में संलिप्तता का संकेत मिला।

11 अगस्त को, खंडपीठ ने आरोपों को चौंकाने वाला बताते हुए सीबीआई को प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया और कहा कि इस मामले में सरकार की ओर से गंभीर विचार की आवश्यकता है। 2 मई को, दिल्ली सरकार के गृह विभाग के प्रधान सचिव को तथ्य-खोज जांच करने और तिहाड़ में प्रशासनिक और पर्यवेक्षी चूक के लिए जिम्मेदार अधिकारियों का पता लगाने का निर्देश दिया गया था। 11 अगस्त को सरकार के वकील ने खंडपीठ को सूचित किया कि विभाग को जांच पूरी करने के लिए और समय चाहिए।

याचिका में जेल अधिकारियों और कैदियों की ओर से अनियमितताओं, अवैध गतिविधियों, कदाचार और भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया है। याचिका में दावा किया गया कि जेल परिसर के अंदर कुछ सुविधाएं हासिल करने के लिए जेल के अंदर और बाहर के कुछ व्यक्तियों ने जेल अधिकारियों के साथ मिलकर उगाही की। खंडपीठ ने सीबीआई वकील को निर्देश दिया कि जांच न केवल जेल अधिकारियों के आचरण पर, बल्कि इसमें शामिल सभी लोगों पर, जिसमें कुछ कैदियों के रिश्तेदार और याचिकाकर्ता स्वयं शामिल हैं, केंद्रित हो।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com