रोटी और चावल दोनों ही कार्बोहाइड्रेट्स का मेन सोर्स हैं। बता दें शरीर को एनर्जी देने के लिए कार्बोहाइड्रेट बहुत जरूरी होते हैं लेकिन आज के अनहेल्दी लाइफस्टाइल में इनका सेवन एक समस्या बन गया है। आइए विस्तार से जानते हैं कि क्यों डॉक्टर बीमारियों से बचाव के लिए रोटी और चावल को छोड़ने या कम खाने की सलाह देते हैं।
क्या आपने कभी गौर किया है कि जैसे ही किसी को वजन बढ़ने या डायबिटीज की शिकायत होती है, डॉक्टर सबसे पहले यही कहते हैं- “रोटी-चावल छोड़ दो”, लेकिन सवाल ये है कि हमारे पूर्वज तो हजारों सालों से यही खाते आ रहे थे, फिर उन्हें ये बीमारियां क्यों नहीं हुईं?
‘अनप्रोसेस्ड’ अनाज में छिपा है राज
हमारे दादाजी-नानाजी जिस चावल या आटे की रोटी खाते थे, वो असल में अनप्रोसेस्ड यानी बिना पॉलिश किया हुआ होता था। इस रूप में अनाज में भरपूर मात्रा में फाइबर, विटामिन, मिनरल्स और एंटीऑक्सीडेंट्स मौजूद रहते हैं। यही पोषक तत्व शरीर को ताकत देते थे और बीमारियों से बचाते थे।
लेकिन आज बाजार में मिलने वाला चावल और आटा प्रोसेस होकर हमारे थाली तक पहुंचता है। जब उसका बाहरी हिस्सा निकाल दिया जाता है, तो उसमें से जरूरी पोषक तत्व भी चले जाते हैं। जो बचता है, वो केवल सफेद चावल या मैदा है, जो लगभग सिर्फ स्टार्च यानी शुगर से भरा होता है।
सफेद चावल और आटे की असली समस्या
जब हम ये स्टार्च खाते हैं तो शरीर में ये तुरंत शुगर में बदल जाता है। हमारी ब्लडस्ट्रीम में शुगर की मात्रा पहले से ही सीमित होती है। जब ये सीमा पार हो जाती है, तो इंसुलिन पर दबाव बढ़ता है और धीरे-धीरे डायबिटीज जैसी बीमारियां जन्म लेती हैं।
फाइबर की कमी होने से समस्या और भी गंभीर हो जाती है:
पेट जल्दी खाली हो जाता है
बार-बार भूख लगती है
खाने की आदतें बिगड़ जाती हैं
और सबसे खतरनाक- मीठे/कार्बोहाइड्रेट वाले खाने की लत लग जाती है
इंडस्ट्री का खेल और हमारी गलती
फूड इंडस्ट्री को ये बात अच्छे से पता है कि जितना ज्यादा प्रोसेस्ड खाना हम खाएंगे, उतना ही ज्यादा हम बार-बार भूख महसूस करेंगे और जब हम ज्यादा खाएंगे, तो उनके प्रोडक्ट्स की बिक्री भी बढ़ेगी। यही कारण है कि बाजार में सफेद चावल, मैदा और ऐसी चीजें धड़ल्ले से बिकती हैं।
लेकिन जब हमारा वजन बढ़ता है या डायबिटीज जैसी दिक्कतें आती हैं, तो दोष हमें ही दिया जाता है- “आपने कैलोरी ज्यादा ली हैं, आपमें समझ नहीं है।” जबकि सच ये है कि असली गलती हमारी नहीं, बल्कि प्रोसेस्ड खाने की है, जिसने हमारी आदतें बिगाड़ी हैं।
क्या है समाधान?
जहां तक संभव हो, अनप्रोसेस्ड या कम प्रोसेस्ड अनाज खाएं।
ब्राउन राइस, मल्टीग्रेन आटा और मोटे अनाज जैसे ज्वार, बाजरा, रागी को शामिल करें।
फाइबर से भरपूर फल-सब्जियां जरूर खाएं।
और सबसे जरूरी- “रोटी-चावल छोड़ने” की बजाय सही रूप में अनाज खाएं।
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