ट्रंप ने अभी आधिकारिक तौर पर अमेरिका की गद्दी संभाली भी नहीं है। लेकिन शुरुआत से ही ट्रंप का मोदी की तरफ झुकाव और चीन के प्रति रूखी बयानबाजी और चेतावनियों से चीन की हवा टाइट हो गयी है। चीन ने ट्रंप पर निशाना साधते हुए विवादित बयान दिया है।
चीन की हवा टाइट
चीन, अमेरिका और भारत की बढ़ती नजदीकियों से तो हैरान है ही वहीं रूस से भारत के हमेशा से अच्छे संबंध भी चीन की आंखों में खटक रहे हैं। तीनों ताकतवर देशों के बीच घिरते चीन को अपनी बादशाहत पर खतरा मंडराता साफ नजर आ रहा है जिसके चलते उसने ट्रंप पर निशाना साधते हुए अमेरिका के साथ युद्ध की चेतावनी दी है। चीनी अखबार ने लिखा है कि अगर अमेरिका से युद्ध की स्थिति आती है तो चीन युद्ध से पीछे नहीं हटेगा और अमेरिका को करारी शिकस्त देगा।
चीनी अखबार ने ट्रंप को एक नौसीखिया बताया है साथ ही उसने लिखा है कि अमेरिका और चीन के बीच तनाव और युद्ध की स्थिति काफी महंगी साबित होगी, लेकिन चीन अपने इरादों से पीछे नहीं हटेगा। माना जाता है कि चीनी अखबार अपने देश की कम्युनिस्ट सरकार के इशारों को खूब समझते हैं और वे वही लिखते हैं जो कि वहां की सरकार लिखवाना चाहती है। कूटनीतिक दांवपेचों के कारण जो बात सरकार सीधे नहीं कह पाती, उसे वह अपने अखबारों के माध्यम से प्रकाशित करवाती है।
अखबार ने लिखा है अगर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ‘वन-चाइना पॉलिसी’ को तुरुप के पत्ते की तरह इस्तेमाल करते हैं तो पेइचिंग को इस विवाद को खत्म करने के लिए सारे हथकंडे अपनाने पड़ेंगे जो अमेरिका के लिए हानिकारक साबित होंगे। ग्लोबल टाइम्स ने अपने संपादकीय में लिखा है कि पहले भी ट्रंप ऐसी हरकतें करके हमें नाराज कर चुके हैं, लेकिन उनकी बार बार की बचकानी हरकतों पर अब हमें हंसी आती है।
बता दें कि चीन अपनी वन चाइना पॉलिसी के मुताबिक ताइवान को अपना अभिन्न हिस्सा बताता है और अमेरिका अपनी आदत से बाज ना आकर बार बार इस नियम का उल्लंघन करता रहा है। अमेरिका और चीन के बीच करीब 40 साल पहले कूटनीतिक रिश्ते दोबारा बहाल हुए थे। दोनों के आपसी रिश्ते में ‘वन चाइना’ काफी अहम है।
खबरों के मुताबिक चीन इस समय अमेरिका के साथ भारत के बढ़ते संबंधों को लेकर काफी परेशान है और रूस भी हमेशा से ही भारत के साथ खड़ा होता आया है। जिस कारण चीन इन तीनों मजबूत देशों के बीच अपने आप को घिरता हुआ महसूस कर रहा है। ऐसे में चीन ऐसे ऊट पटांग बयान दे रहा है।
बता दें कि चीन शुरुआत से ही भारत की एनएसजी में सदस्यता का विरोध करता आया है और अमेरिका शुरुआत से ही भारत के साथ मजबूती से खड़ा रहा है और उसने इसी बात को लेकर चीन को लताड़ भी लगाई थी।