शेयर बाजार में जब से निवेश करना आसान और सुगम हुआ है, तब से निवेशकों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है, लेकिन आज भी मध्यम वर्ग और खासकर बुजुर्ग सबसे सुरक्षित निवेश फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) को ही मानता है।
क्या आप जानते हैं कि अगर आपने एफडी करवाई है तो आपको दो फॉर्म 15G और 15H हर साल बैंक में या फिर जहां से आपने एफडी कराई है, वहां जमा करने होते हैं। कारोबारी साल में मिलने वाला ब्याज एक तय सीमा से ज्यादा हो जाने पर बैंक उस ब्याज की रकम पर टीडीएस काटते हैं। तो चलिए, जानते हैं कि यह फॉर्म 15G और15H है क्या।
क्या है फॉर्म 15G
इस फॉर्म को टैक्स बचाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इस फॉर्म को भरकर आप अपने इनकम पर टीडीएस को कटने से बचा सकते हैं। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि इस फॉर्म को कुछ शर्तों के आधार पर ही भरा जाता है।
फॉर्म 15G आयकर अधिनियम 1961 के अंदर धारा 197A के अंडर सब सेक्शन 1और 1(A) के भीतर आने वाला डीक्लेरेशन फॉर्म है। इस फॉर्म को हिन्दू अविभाजित परिवार का कोई भी व्यक्ति जिसकी उम्र 60 साल से कम है, वो भर सकता है।
यहां आपको यह जानना जरूरी है कि इस फॉर्म को आपको एफडी पर मिलने वाले ब्याज के पहले जमा करना होता है। यह फॉर्म उन सभी बैंकों के ब्रांच में जमा करना होता है, जहां से पैसा जमा किया जा रहा है। यह फॉर्म सिर्फ वही जमा कर सकता है, जिसकी टैक्सेबल इनकम शून्य है और वित्त साल के दौरान ब्याज से कुल आय 2.5 लाख से कम हो।
क्या है फॉर्म 15H
इस फॉर्म को 60 साल या उससे ज्यादा उम्र वाले लोग भर सकते हैं। यह फॉर्म भी फॉर्म 15G की तरह आयकर अधिनियम 1961 के अंदर धारा 197A के तहत आता है। हालांकि, यह धारा 197A के सब सेक्शन 1(C) के तहत आने वाला डीक्लेरेशन फॉर्म है।
शर्तों के मुताबिक लाभार्थी का पिछले साल का एस्टीमेट टैक्स शून्य होना चाहिए और उसने पिछले साल इनकम टैक्स रिटर्न न भरा हो।
पिछले फॉर्म की तरह यहां भी आपको इस फॉर्म को सभी बैंकों के ब्रांच में सबमिट करना होगा, जहां से ब्याज इकट्ठा किया जा रहा है। यहां भी आपको ब्याज मिलने से पहले यह फॉर्म जमा करना होता है। हालांकि, यह गारंटी नहीं, लेकिन यह बैंक से टीडीएस कटौती को रोक सकता है।