पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास के नेतृत्व में झारखंड विधानसभा चुनाव हारने के बाद भाजपा के भीतर नए चेहरे की तलाश शुरू हो गई है. एक गैर आदिवासी चेहरे पर दांव लगाने और उसमें मिली हार के बाद पार्टी के भीतर इस बात पर गंभीर मंथन चल रहा है कि आखिर इस आदिवासी बहुल राज्य में पार्टी का चेहरा कौन हो.
भाजपा के दिग्गज नेता और केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा (Arjun Munda) राज्य में पार्टी के आदिवासी चेहरा रहे हैं लेकिन इस विधानसभा चुनाव में उनके कोलहन क्षेत्र में भी पार्टी का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं रहा. इससे पहले 2014 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने अर्जुन मुंडा के नेतृत्व में राज्य विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन पार्टी के अच्छे प्रदर्शन के बावजूद अर्जुन मुंडा अपनी सीट गंवा बैठे से थे. इस कारण उन्हें सीएम की रेस से बाहर होना पड़ा था.
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक पार्टी आदिवासी चेहरे के रूप में राज्य के अपने सबसे पुराने नेता और पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी (Babulal Marandi) को मनाने में जुट गई है. दूसरी तरफ मरांडी भी अपनी राजनीतिक जमीन तलाश रहे हैं.
बाबूलाल मरांडी की पहचान आदिवासियों के बीच एक भरोसेमंद चेहरे के रूप है. बिहार से अलग झारखंड राज्य बनने के बाद भाजपा के नेतृत्व में बनी पहली सरकार का नेतृत्व बाबूलाल मरांडी (Babulal Marandi) ने ही किया था.
लेकिन पार्टी के भीतर गुटबाजी की वजह से मरांडी 2006 में पार्टी से बाहर हो गए थे. उन्होंने अपनी झारखंड विकास मोर्चा (JVM) पार्टी बना ली थी. उनकी पार्टी ने 2009 में पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा और शानदार 11 सीटों पर जीत हासिल की, लेकिन इससे बाद से लगातार मरांडी अपना वजूद तलाश रहे हैं. गौरतलब है कि JVM को विधानसभा चुनावों में कुल तीन सीटें हाथ लगीं. JVM ने चुनाव खत्म होने के बाद JMM के नेतृत्व वाली सरकार को समर्थन दिया था.
साल 2009 विधानसभा चुनावों में जेवीएम का प्रदर्शन अच्छा रहा और पार्टी ने कुल 11 सीटों पर जीत दर्ज की. हालांकि साल 2014 विधानसभा चुनावों में पार्टी को मात्र 8 सीटों पर संतोष करना पड़ा था.
अखबार की रिपोर्ट के मुताबित प्रदेश भाजपा के एक बड़े नेता ने इस बात की पुष्टि की है कि संघ के पुराने स्वयंसेवक बाबू लाल मरांडी को भाजपा में लाने की बातचीत चल रही है. उक्त नेता के मुताबिक इस वक्त दोनों को एक दूसरे की जरूरत है. इस चर्चा को इस कारण भी दम मिल रहा है कि भाजपा ने अभी तक विधानसभा में विपक्ष के नेता की घोषणा नहीं की है. पार्टी ने खरमास की बात कर इसे 14 जनवरी तक टाल दिया है. उधर, मरांडी ने भी अपनी पार्टी की कार्यकारी समिति को भंग कर दिया है. उन्होंने भी खरमास बाद नई टीम के गठन की बात कही है.
बता दें कि संघ के साथ काम करने के लिए मरांडी ने अपनी शिक्षक की नौकरी छोड़ दी थी. साल 2000 में वे भाजपा की तरफ से पहली बार मुख्यमंत्री चुने गए. हालांकि उन्हें साल 2003 में इस्तीफा देना पड़ा और अर्जुन मुंडा को अगला मुख्यमंत्री बनाया गया.
साल 2006 में भाजपा से अलग होकर बाबू लाल मरांडी ने झारखंड विकास मोर्चा पार्टी की स्थापना की. बता दें कि मरांडी धनवार विधानसभा क्षेत्र के विधायक हैं. भाजपा में शामिल होने को लेकर मरांडी के सामने एक मुश्किल भी है. जेवीएम के ही दो विधायक मरांडी के साथ भाजपा में शामिल होने के अनिच्छुक हैं.