वकालत नहीं करने वाले वकीलों पर झारखंड बार काउंसिल ने शिकंजा कस दिया है। ऐसे वकीलों का अब लाइसेंस रद्द हो सकता है। झारखंड बार काउंसिल के पास अब तक करीब छह हजार वकीलों के नाम विभिन्न बार संघों से मिले हैं। ये ऐसे वकील हैं, जिनके पास वकालत का लाइसेंस तो है, लेकिन ये प्रैक्टिस नहीं कर रहे हैं। इन्होंने दूसरा पेशा भी अपना लिया है।
जो सूची प्राप्त हुई है, उसमें ऐसे वकील हैं जो कोर्ट में बहस नहीं करते हैं, लेकिन बार संघों में मतदान कर रहे हैं और वकीलों की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ भी ले रहे हैं। इन वकीलों को शोकॉज कर जवाब मांगा जाएगा। नियमित प्रैक्टिस का प्रमाणपत्र नहीं देने पर लाइसेंस भी रद्द किया जाएगा। झारखंड में 30 हजार से अधिक वकील निबंधित हैं, लेकिन कई वकालत के पेशे में नहीं हैं। कई वकील लाइसेंस लेकर कोर्ट में प्रैक्टिस नहीं करते।
कई वकील प्रॉपर्टी डीलिंग समेत अन्य प्रकार के बिजनेस करते हैं। वकालत के सिवा दूसरा काम नहीं करने का शपथपत्र बार काउंसिल ऑफ इंडिया के निर्देश पर झारखंड बार काउंसिल ने राज्य के सभी जिला बार संघों से ऐसे वकीलों की सूची मांगी थी। हालांकि अभी अंतिम सूची तैयार नहीं की गयी है। अब तक करीब छह हजार वकीलों के नाम विभिन्न बार संघों से मिले हैं।
बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने प्रत्येक वकील को एक साल में न्यूनतम एक वकालतनामा कोर्ट में दायर करने को अनिवार्य किया है। इस वकालतनामे की फोटो कॉपी बार काउंसिल ऑफ इंडिया के पास जाएगी। इसके साथ वकील शपथ पत्र देकर बताएंगे कि वे और किसी अन्य धंधे में नहीं हैं और कोर्ट में प्रैक्टिस करते हैं।
क्यों उठाया गया कदम
बार काउंसिल से निबंधन कराने के बाद कई वकील दूसरा व्यवसाय कर रहे हैं। ऐसे में उनके साथ कुछ घटना होती है, तो वह बार जिला बार संघों के पास जाते हैं। कई बार उस वकील की जानकारी बार संघों को भी नहीं हो पाती है। जमीन कारोबार में कई वकीलों के शामिल होने की सूचना मिलने के बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने यह निर्णय लिया है।
इस आदेश के बाद क्या होगा
बार काउंसिल ऑफ इंडिया देशभर में ऐसे वकीलों का डाटा तैयार कर रही है, जो कोर्ट में नियमित प्रैक्टिस कर रहे हैं। इसके बाद ऐसे वकीलों का ही लाइसेंस बरकरार रखने की योजना है। इसके लिए बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने सभी जिला बार एसोसिएशन के माध्यम से एक सूची तैयार करने का आदेश दिया है। इसमें वकीलों की जांच की जाएगी कि कौन प्रैक्टिस कर रहा है और कौन नहीं। इनमें काफी ऐसे बुजुर्ग वकील भी हैं, जो अब कोर्ट नहीं आ सकते।
क्या होगा नए नियम से
नए नियम से प्रदेश में केवल वही वकील ट्रेस हो जाएंगे, जो असल में कोर्ट में प्रैक्टिस करते हैं। इससे प्रोफेशनल वकीलों की संख्या बढ़ेगी और प्रैक्टिस न करने वाले वकील घर बैठ जाएंगे। इसके अलावा ऐसे वकीलों से भी छुटकारा मिल जाएगा, जो नाम के लिए वकील बने हुए हैं। अब जिला बार के होने वाले चुनाव में भी केवल सही वकील ही वोटर रहेंगे।