जेएनयू में सस्पेंड किए गए स्टूडेंट्स ने आरोप लगाया है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन गलत आरोप लगाकर दबी हुई कम्यूनिटी पर अटैक कर रहा है। 11 स्टूडेंट्स को प्रॉक्टर ऑफिस से नोटिस मिल चुके हैं। ऐसे में जल्द सस्पेंशन वापस से लेना चाहिए।
जानकारी के अनुसार इन स्टूडेंट्स को 26 दिसंबर को हुई एकेडमिक काउंसिल की मीटिंग में हंगामा करने के आरोप में सस्पेंड किया गया है। प्रशासन के मुताबिक, 8 स्टूडेंट्स को सस्पेंड किया गया है। प्रॉक्टोरियल जांच तक सस्पेंशन जारी रहेगा। जेएनयू स्टूडेंट्स ने इस मुद्दे पर रात में कैंपस में मार्च भी किया।
स्टूडेंट्स ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए कहा कि प्रॉक्टर ऑफिस ने स्टूडेंट्स को दबाने के लिए झूठे आरोप लगाकर सस्पेंशन नोटिस देने का तरीका अपना लिया है। उन्होंने कहा कि एसी मीटिंग में खलल डालने के लिए यह नोटिस दिए गए हैं, जबकि रजिस्ट्रार की ओर से जारी स्टेटमेंट में कहा गया है कि जब स्टूडेंट्स ने हंगामा किया तब तक मीटिंग पूरी हो चुकी है। स्टूडेंट्स ने कहा कि प्रशासन इसके जरिए एससी, एसटी, ओबीसी और माइनॉरिटीज से जुड़े स्टूडेंट्स पर एक्शन ले वॉयलेशन कर रही है।
राहुल ने बताया, स्टूडेंट्स मांग की है कि एकेडमिक काउंसिल की मीटिंग फिर से 11 जनवरी 2017 से पहले की जाए। इसमें एमफिल, पीएचडी के लिए वाइवा वेटेज को 30 मार्क्स से 10 मार्क्स किया जाए। माइनॉरिटी डिप्रिवेशन पॉइंट्स लागू किए जाएं और प्रो अब्दुल नाफे कमिटी की सिफारिश को लागू किया जाए। जेएनयू की बनाई गई इस कमिटी ने रिपोर्ट दी थी कि पीएचडी के प्रवेश में वाइवा के जरिए दलित और और पिछड़े वर्ग के स्टूडेंट्स के साथ भेदभाव किया जाता है। एडमिशन प्रोसेस के लिए फीस बढ़ाने के फैसले को वापस लिया जाए। 11 स्टूडेंट्स को दिए गए सस्पेंशन नोटिस को फौरन वापस लिया जाए।
फैकल्टी पोस्ट और डायरेक्ट पीएचडी के लिए एससी, एसटी और ओबीसी रिजर्वेशन लागू किया जाए। इन स्टूडेंट्स में बापसा लीडर राहुल, प्रशांत, शकील अंजुम, दावा शेरपा, मुलायम सिंह, दिलीप कुमार, भूपाली विट्ठल, बिरेंद्र और मृत्युंजय सिंह का नाम है। एक्स स्टूडेंट्स में बिरेंद्र और प्रवीण हैं।