देहरादून: जापान इंटरनेशनल को-ऑपरेशन एजेंसी (जायका) के तहत वन क्षेत्रों में भूस्खलन प्रभावित जोन में जापानी तकनीक से उपचार को चयनित ऋषिकेश-देवप्रयाग मार्ग पर स्थित नीरगढ़ में उपचारात्मक कार्य इसी साल दिसंबर से प्रारंभ हो जाएंगे। इस क्षेत्र को मॉडल साइट के रूप में भी विकसित किया जा रहा है, ताकि अन्य इलाकों में भी इसी तर्ज पर कार्य किए जा सकें। वन विभाग के मुखिया ने जापानी अभियंताओं और विभागीय अधिकारियों के साथ इस साइट का निरीक्षण किया।
चारधाम यात्रा मार्ग पर स्थित नीरगढ़ में 2013 में भूस्खलन से काफी नुकसान हुआ और अभी भी यह भूस्खलन जोन सक्रिय है। जायका प्रोजेक्ट के तहत इस स्थल को जापानी तकनीक से उपचारित करने के लिए चयनित कया गया है। इसके लिए करीब आठ करोड़ की परियोजना को मंजूरी दी गई है। इस साइट का निरीक्षण करने के बाद वन विभाग के मुखिया प्रमुख मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) जयराज ने बताया कि इस दौरान जापान से आए अभियंताओं और विभागीय अधिकारियों के मध्य कई मसलों पर मंथन किया गया।
पीसीसीएफ जयराज के अनुसार इस वर्षाकाल में नीरगढ़ परियोजना को लेकर टेंडर समेत अन्य औपचारिकताएं पूरी कर ली जाएंगी। दिसंबर से कार्य प्रारंभ कर दिया जाएगा। भूस्खलन का स्थायी समाधान कर इसे मॉडल साइट के रूप में भी विकसित किया जाएगा। यही नहीं, इस साइट पर वन के साथ ही अन्य विभाग यहां टे्रनिंग भी लेंगे।