देश और समाज की सीमा को लांघकर पहुंची जापानी दुल्हन और जशपुरिया दूल्हे ने हिंदू रीति रिवाज के साथ ब्याह रचाया। इस विवाह की खूब धूम थी।
जशपुर निवासी युवा अंशुमन गुप्ता और जापान के क्योतो शहर की मियाको निसीमुरा गुरुवार रात यहां स्थित जैन धर्मशाला में हिंदू रीति रिवाज से वैवाहिक बंधन में बंधे। विवाह की रस्मे दुल्हन पक्ष के लोगों को खूब पसंद आई।
उन्हांेने विधि विधान के साथ सभी रश्में पूरी की। विवाह के पहले पुलदान हुआ पिुर हल्दी लगी और मेंहदी भी रचाई गई। विवाह में दूल्हे के पिता राजकिशोर गुप्ता, माता श्रीमती चंद्रसेनवा गुप्ता सहित अन्य परिजन शामिल हुए। वहीं दुल्हन के पिता सेइची निसीमुरा, मां श्रीमती तायको निसीमुरा , बहन मीका, सहेली मास्की, यासुयो आदि शामिल हुए। गुरुवार देर शाम अंशुमन की बारात बाजे गाजे के साथ निकली। क्षेत्र में पड़ रही तेज ठंड के शहर में हलचल कम थी, लेकिन जैसे ही लोगों को इस विवाह की जानकारी मिली लोग बारात देखने पहुंचने लगे।
व्यवहार कुशलता से बढ़ा प्रेम
अंशुमन पिछले पांच साल से जापान में ईवेलुसन कंपनी में व्हाइस प्रेसिडेंट है, कंपनी की ब्रांच संघाई में है। मियाको भी इसी कंपनी में कंसलटेंट मैनेजर है। एक साल पहले दोनों एक दूसरे के संपर्क में आए और मेल जोल बढ़ने पर दोनों ने विवाह करने का निर्णय लिया। अरेंज मैरिज दोनों के लिए चुनौती थी। अंशुमन को अपने माता-पिता के साथ दादी श्रीमती शांति देवी को भी मनाना था। वहीं मियाको को अपने माता-पिता को राजी करनी थी। काफी मशक्कत के बाद दोनों परिवार विवाह के लिए राजी हो गए।
दुल्हन ने लगाई मेंहदी, पिता के पैर में लगा महावर
विवाह के दौरान दुल्हन पक्ष के लोग हिंदू रीति रिवाज के अनुरूप रश्में निभाने में उत्साहित दिखे। दुल्हन ने मेंहदी लगाई और उसके पिता ने अपने पैर में महावर लगाया। यहां की रश्मों से अभिभूत मियाको के पिता सेइची ने कहा कि भारतीय संस्कृति में विवाह संस्कार रिश्तों की गंभीरता और अहमियत को बयां करती है, यही कारण है कि यहां रिश्ते अटूट होते हैं। आचार्य गौरी शंकर मिश्र के सानिध्य में पिता ने मंत्रोच्चार के साथ कन्यादान किया। वहीं दूल्हे ने दुल्हन की मांग भरी।