आप सभी जानते ही हैं कि आज से गुप्त नवरात्रि आरम्भ हो गई है. ऐसे में आज से तंत्र विद्या की साधना करने वाले साधक 10 महाविद्याओं को प्रसन्न करने हेतु विशेष पूजा अर्चना करेंगे. आप जानते होंगे साल में चार नवरात्रि होती हैं. ऐसे में माघ महीने के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली गुप्त नवरात्रि के 9 दिन मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है. कहते है कि अषाढ़ महीने में होने वाली नवरात्रि का ज्ञान कम ही लोगों को होता है इसलिए इसे गुप्त नवरात्रि कहा जाता है. वैसे इस नवरात्रि में विशेष कामनाओं की सिद्धि की जाती है. अब आज हम आपको बताने जा रहे हैं गुप्त नवरात्रि की पौराणिक कथा.
गुप्त नवरात्रि की पौराणिक कथा: पौराणिक कथाओं के अनुसार, प्राचीन समय की बात है जब ऋषि श्रंगी भक्तों को प्रवचन दे रहे थे. इसी दौरान भीड़ से एक स्त्री हाथ जोड़कर ऋषि के सामने आई और अपनी समस्या बताने लगी. स्त्री ने कहा कि उनके पति दुर्व्यसनों से घिरे हैं और इसलिए वह किसी भी प्रकार का व्रत, धार्मिक अनुष्ठान आदि नहीं कर पाती. स्त्री ने साथ ही कहा कि वह मां दुर्गा के शरण में जाना चाहती है लेकिन पति के पापाचार के कारण यह संभव नहीं हो पा रहा है.
यह सुन ऋषि ने बताया कि शारदीय और चैत्र नवरात्र में तो हर कोई मां दुर्गा की पूजा करता है और इससे सब परिचित भी हैं लेकिन इसके अलावा भी दो और नवरात्र हैं. ऋषि ने बताया कि दो गुप्त नवरात्र में 9 देवियों की बजाय 10 महाविद्याओं की उपासना की जाती है. ऋषि ने स्त्री से कहा कि इसे करने से सभी प्रकार के दुख दूर होंगे और जीवन खुशियों से भर जाएगा. ऐसा सुनकर स्त्री ने गुप्त नवरात्र में गुप्त रूप से ऋषि के अनुसार मां दुर्गा की कठोर साधना की. मां दुर्गा इस श्रद्धा और भक्ति से हुईं और इसका असर ये हुआ कि कुमार्ग पर चलने वाला उसका पति सुमार्ग की ओर अग्रसर हुआ. साथ ही स्त्री का घर भी खुशियों से भर गया.