जानिए, मनुष्य को केवल इस रूप में स्वीकार करते हैं भगवान

जानिए, मनुष्य को केवल इस रूप में स्वीकार करते हैं भगवान

मनुष्य भगवान को पाने के लिए क्या क्या नहीं करते, लेकिन भगवान सबको नहीं मिलते है , यह आप भी जानते होंगे। आज हम बताये गए कि आप भगवान को कैसे पा सकते हैं ।जानिए, मनुष्य को केवल इस रूप में स्वीकार करते हैं भगवान

परमहंस आश्रम में एक संत जोश-जोश में अधिक भावुक हो गया। सामूहिक रूप से हो रहे जाप के मध्य में वो रोने लगा और भगवान का नाम लेकर जमीन पर लोटने लगा। कुछ संतो को ऐसा करना पसंद ना आया। लेकिन जब इसके बारे में योगानंद को बताया गया तो उन्होंने कहा, “आह – काश कि आप सबों में उस तरह का उत्साह भरा होता!”

हमें यह समझने की आवश्यकता है कि भगवान के लिए क्या जरूरी है। हमें शायद पता है कि आध्यात्मिक जीवन किस चीज के बारे में है। लेकिन भगवान हमारे सोच की परवाह नहीं करते हैं। और ना ही वो हमारी भावनाओं और छवि की परवाह करते हैं जो हमने खुद के सामने और दुनिया के सामने बनाई है।

भगवान हमें बिल्कुल वैसे ही स्वीकार करते हैं जैसे हम वाकई में हैं। और हम जिस भी रूप में है, उसे हमने अपनी चेतना से जन्म दिया है। हमारी चेतना हमारे जीवन के कर्मों, विचारों, और सभी जरूरी भावनाओं को आकार प्रदान करती है।19वीं सदी के एक महान बंगाली संत, श्री रामकृष्ण के एक शिष्य एक बार आश्रम में नृतकों, गायकों और कलाकारों के एक समूह को लेकर आये। मनोरंजन करने वाले निम्न जाति के थे, लेकिन रामकृष्ण ने उन्हें गले से लगा लिया और उनके प्रति अपना प्रेम व्यक्त किया।

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उनलोगों के जाने के बाद कुछ संकीर्ण सोच वाले उनके शिष्यों ने उनसे पूछा कि आपने ऐसे छोटे वर्ग वाले लोगों का स्वागत क्यों किया? तो उस महान योगी ने कहा, “अब जिस भगवान की वो लोग पूजा करते हैं, वो नृत्य और संगीत है।” उन्होंने आनंदित होकर कहा, “आह – लेकिन वो जानते हैं कि अपने भगवान की पूजा कैसे करनी है।” और इसी से भगवान प्रसन्न होते हैं। यह हमारी तरह खुद को दुनिया के समाने सावधानी से या सुनियोजित रूप से प्रस्तुत नहीं करते हैं।

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