ज्योतिषीय मान्यता में मंगल का बहुत महत्व है। कहा जाता है कि जिस जातक की जन्म कुंडली के 1, 4 थे, 7 वें और 12 वें आदि भाव में मंगल ग्रह आता है तो ऐसे जातक की कुंडली मांगलिक होती है। इसे कुज दोष भी कहा जाता है कहीं कहीं पर यह अंगारक दोष का स्वरूप भी ले लेता है। ऐसे जातकों को विवाह में देरी, देरी से भाग्योदय, नौकरी, व्यापार में परेशानी, आदि मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। ऐसे जातकों के लिए मंगल दोष निवारण ही एक उपाय होता है। यह निवारण भात पूजन से संभव हो जाता है। मध्यप्रदेश के उज्जैन में इसका निवारण किया जाता है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु उज्जैन के मंगलनाथ मंदिर आकर भातपूजन करवाते हैं।
इसी मंदिर के समीप शिप्रा तट पर प्रतिष्ठापित है अंगारेश्वर महादेव। यहां भी मंगल दोष निवारण के लिए भात पूजा करवाई जाती है। हालांकि इन दिनों तेज बारिश के कारण यह क्षेत्र जलमग्न हो गया है लेकिन बारिश थमने के बाद यहां शिप्रा मैया की जलधारा शांत होती है और तब यहां मंगल दोष निवारण किया जाता है। माना जाता है कि भगवान शिव ने एक असुर का संहार किया था। इस दौरान भगवान शिव का पसीना धरती पर गिर गया। भगवान शिव के पसीने की बूंद से अंगारक उत्पन्न हुए। इनके उत्पन्न होते ही धरती पर गर्मी बढ़ गई और लोग हाहाकार करने लगे तब देव और ऋषी भगवान शिव और श्री विष्णु के पास गए और उन्होंने आराधना करने के लिए कहा।
जिसके बाद भगवान प्रसन्न हुए औरवे अंगारेश्वर स्वरूप में इस क्षेत्र में विराजमान हुए। यहां मंगलदोष के निवारण के निमित्त पूजन अर्चन करने और भात पूजन करवाने से शांति मिलती है साथ मंगल के सभी दोषों का निवारण होता है। इसके बाद श्रद्धालु का विवाह शीघ्र हो जाता है और उसका भाग्योदय होने लगाता है। इसके अलावा उन्हें लाल वस्त्रों का दान और मसूर की दाल का दान भी बहुत ही लाभकारी होता है।
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