साइबर ठग हर रोज ठगी के तरीके बदल रहे हैं। अभी तक साइबर ठग ओटीपी पूछकर खातों से रकम पार करते थे, अब वह बगैर ओटीपी पूछे ही खातों में सेंध लगा रहे हैं। वह रिमोट एक्सेस तकनीक का प्रयोग कर रहे हैं, इससे न ओटीपी पूछने की जरूरत पड़ती है, न ही खाताधारक को पता चलता है कि उसके साथ ठगी हो गई है।
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ऐसे होती है ठगी
सदर बाजार थानाक्षेत्र की लेबर कालोनी निवासी अलका शर्मा के मोबाइल पर एक काल आई। कालर ने खुद को बैंक का अधिकारी बताया और महिला से धोखाधड़ी कर एनी डेस्क रिमोट साफ्टवेयर नाम का एक एप डाउनलोड करा लिया। एप डाउनलोड होते ही महिला के खाते से एक लाख रुपये निकल गए।
पकड़े जा चुके हैं कई गिरोह के सदस्य
साइबर थाना प्रभारी के मुताबिक जिले में पिछले एक साल में करोड़ों रुपये के आनलाइन ठगी के कारोबार सहित सात छोटे और बड़े गिरोह के 28 सदस्य गिरफ्तार हो चुके हैं। रिमोट एक्सेस तकनीक से रकम पार करने के मामले कम हैं, लेकिन सभी में पुलिस आरोपितों की पहचान कर सख्त कार्रवाई कर रही है।
ठगी का नया तरीका
साइबर थाना प्रभारी प्रवीण यादव के मुताबिक ठग फोन या कंप्यूटर पर एक एप्लीकेशन डाउनलोड कराकर सारा डाटा चुराकर पैसा निकाल लेते हैं। ठग फर्जी भुगतान अनुरोध भेजकर यूपीआइ की कलेक्ट रिक्वेस्ट सुविधा का दुरुपयोग करते हैं। इसके अलावा ठग ई-वालेट कंपनी के फर्जी लिंक से क्विक सपोर्ट एप डाउनलोड कराते हैं। यह भी रिमोट एक्सेस एप है। इसे डाउनलोड करने के बाद मांगी गई जानकारी देते ही डिवाइस का नियंत्रण ठग के पास चला जाता है। इसलिए किसी अंजान के कहने से कोई एप डाउनलोड न करें।
कैसे बचें
साइबर एक्सपर्ट राहुल अरोड़ा ने बताया कि टीम व्यूवर या क्विक सपोर्ट जैसे एप से कोई भी व्यक्ति किसी दूसरे के सिस्टम पर अधिकार कर लेता है। इसलिए एप डाउनलोड करने से पहले सतर्क रहें।