जानिए क्यों किया जाता है गणपति के आगमन के समय चावल का इस्तेमाल

जानिए क्यों किया जाता है गणपति के आगमन के समय चावल का इस्तेमाल

भारत त्योहार का देश है यहां हर त्योहार का अपना एक अलग ही रंग देखने को मिलता है. उन्हीं त्योहारों में एक है गणेश चतुर्थी, जिसे विभिन्न रीति-रिवाजों और परंपराओं के साथ मनाया जाता है. भगवान गणेश के भक्त 10 दिनों के लिए मूर्ति को घर लाते हैं और उनकी पूजा करते हैं. इस साल गणेश चतुर्थी या विनायक चतुर्थी का यह पावन पर्व 25 अगस्त से शुरू होकर 5 सितंबर तक चलेगा. पूरे विधि-विधान के साथ लोग गणपति बप्पा को अपने घर लाते हैं. घर में गजानन का स्वागत करते समय विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है और इस पूजा की सामग्री में चावल (अक्षत) का काफी महत्व होता है.जानिए क्यों किया जाता है गणपति के आगमन के समय चावल का इस्तेमाल
जिस समय गणेश जी को घर में लाया जाता है उस दौरान भगवान पर हल्दी या कुमकुम के साथ मिलाकर अक्षत डालकर उनका स्वागत किया जाता है जिसे खुशी और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. शेफ मंजुषा सिन्हा जो गुडगांव में कुकिंग क्लास चलाती हैं, उनका कहना है कि महाराष्ट्रीयन भगवान गणेश को घर में लाते वक्त कुमकुम में चावलों मिलाकर उनपर डालते हैं. एक बार जब मंदिर में भगवान की स्थापना हो जाती है तो हम उनके आगे हल्दी और कुमकुम में मिक्स किए गए चावलों से स्वास्तिक बनाते हैं. इस दौरान गणेश जी के सामने मुख्य रूप से पांच तरह की चीजें 11 या 21 पान के पत्ते, अक्षत, रोली या गुलाल, बुक्का (काले रंग का पाउडर होता है) और नारियल के साथ एक कलश रखा जाता है. इन चीजों के अलावा 10 दिनों तक दीया जलाया जाता है ताकि भगवान के चारों ओर अंधेरा न हो.

इसके अलावा जिस जगह पर गणपति को बिठाया जाता कुछ लोग उस स्थान पर चावल या अनाज रखते हैं, इसके साथ सुपारी भी रखी जाती और हल्दी भी छिड़की जाती हैं. इसी के साथ एक प्लेट मोदक की भी रखे जाती है. आखिरकार यह बात सभी जानते हैं कि भगवान गणेश को मोदक कितने प्रिय हैं.

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ऐसा माना जाता है कि चावल पांच प्रमुख देवताओं भगवान शिव, शक्ति, श्रीराम, श्रीकृष्ण और गणेश जी से सकारात्मकता और ऊर्जा को आकर्षित करते हैं। साथ ही लोगों का ऐसा विशवास है कि सभी देवी-देवताओं को साबूत चावल चढ़ाने से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है. इसलिए जब भी आप चावल हो हल्दी या कुमकुम में मिक्स करें तो बिल्कुल हल्के हाथ से करें ताकि वह टूट न जाएं. कहा जाता है कि किसी भी देवी-देवता को सादे चावल नहीं चढ़ाने चाहिए क्योंकि इसे शुभ नहीं माना जाता. इसी वजह से चावलों को हल्दी या कुमकुम के साथ मिलाकर चढ़ाने का विधान है, जिसे पवित्र माना जाता है.

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