शनिदेव से तो हर कोई भलिभांति परिचित है। परिचित इसलिए हैं क्योंकि हर इंसान शनिदेव को खुश रखना चाहता है। क्योंकि जिस इंसान पर शनिदेव प्रसन्न होगें उसके सारे बिगड़े काम बनने लगेगें। लेकिन अगर शनिदेव किसी इंसान से नाराज हो गये, तो समझ लें कि उसके बनते हुए काम बिगड़ने लगेगें। वह जो भी काम करेगा उसमें उसे असफलता ही नसीब होगी। शनि की नाराजगी कई प्रकार की होती है, उसी में से एक है साढ़े साती। जी हां साढ़े साती जिस इंसान पर होती है, तो मानों उसका भाग्य जैसे कभी था ही नही । तो चलिए आज हम इसी विषय पर चर्चा करते हैं कि आखिर शनि की साढ़े साती कब प्रभाव में आती हैं?
ज्योतिष के अनुसार शनि की साढेसाती की मान्यतायें तीन प्रकार से होती हैं, पहली लगन से दूसरी चन्द्र लगन या राशि से और तीसरी सूर्य लगन से, उत्तर भारत में चन्द्र लगन से शनि की साढे साती की गणना का विधान प्राचीन काल से चला आ रहा है। इस मान्यता के अनुसार जब शनिदेव चन्द्र राशि पर गोचर से अपना भ्रमण करते हैं, तो साढेसाती मानी जाती है।
इसका प्रभाव राशि में आने के तीस माह पहले से और तीस माह बाद तक अनुभव होता है। साढेसाती के दौरान शनि जातक के पिछले किये गये कर्मों का हिसाब उसी प्रकार से लेता है, जैसे एक घर के नौकर को पूरी जिम्मेदारी देने के बाद मालिक कुछ समय बाद हिसाब मांगता है, और हिसाब में भूल होने पर या गलती करने पर जिस प्रकार से सजा नौकर को दी जाती है उसी प्रकार से सजा शनि देव भी हर प्राणी को देते हैं।
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