हिन्दू धर्म में कन्या पूजन का महत्व है। इस दिन 10 वर्ष और उससे कम उम्र की कन्याओं की मां दुर्गा का स्वरूप मानकर पूजन किया जाता है। इस दिन शुभ मुहूर्त में की गई पूजा का विशेष लाभ मिलता है।
शारदीय नवरात्र में कन्या पूजन का विशेष महत्व है। नवरात्र महापर्व के अष्टमी और नवमी तिथि के दिन 9 कन्याओं का विशेष पूजन किया जाता है और उन्हें हलवा-पूड़ी या खीर-पूड़ी का भोग लगाया जाता है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन ऐसा करने से मां भगवती प्रसन्न होती हैं और भक्तों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि शुभ मुहूर्त में कन्या पूजन करने से और कुछ विशेष नियमों का पालन करने से माता रानी के भक्तों को विशेष लाभ होता है। आइए जानते हैं किस मुहूर्त में करें कन्याओं की पूजा और क्या है इसका नियम।
कन्या पूजन 2022 शुभ मुहूर्त
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार लोग अष्टमी अथवा नवमी तिथि को अपनी सुविधा के अनुसार कन्या पूजन कर सकते हैं। इस वर्ष अष्टमी तिथि 3 अक्टूबर 2022, सोमवार और नवमी तिथि 4 अक्टूबर 2022, मंगलवार के दिन है।
कन्या पूजन 2022 अष्टमी मुहूर्त
अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 12:04 से दोपहर 12:51 तक
विजय मुहूर्त- दोपहर 02:27 से दोपहर 03:14 तक
गोधूलि मुहूर्त- शाम 06:13 से शाम 06:37 तक
कन्या पूजन 2022 नवमी मुहूर्त
अभिजित मुहूर्त – सुबह 11:52 से दोपहर 12।39 तक
गोधूलि मुहूर्त – शाम 05।58 PM से शाम 06।22 तक
अमृत मुहूर्त – शाम 04।52 से शाम 06।22 तक
कन्या पूजन 2022 मंत्र
* या देवी सर्वभूतेषु ‘कन्या ‘ रूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ।।
ॐ श्री दुं दुर्गायै नमः ।।
* ॐ श्री कुमार्यै नमः ।।
* ॐ श्री त्रिगुणात्मिकायै नमः ।।
कन्या पूजन 2022 विशेष नियम
- नवरात्र के किसी भी दिन कन्या पूजन का आयोजन किया जा सकता है। लेकिन अष्टमी और नवमी के दिन इसका विशेष फल प्राप्त होता है।
- कन्या पूजन के दौरान इस बात का विशेष ध्यान रखें कि कन्याओं की आयु 10 वर्ष या उससे कम हो। इसके साथ उनके साथ एक बटुक को भी भोग लगाएं।
- कन्याओं को हलवा-पूड़ी या खीर-पूड़ी परोसने से पहले मां दुर्गा को भोग अवश्य लगाएं और कन्याओं वस्त्र, उपहार और दक्षिणा भेंट कर विदा करें।
- घर से कन्याओं को विदा करते समय उनके पैर छूकर आशीर्वाद अवश्य लें और उसके बाद ही व्रत का पारण करें।