2जी स्पेक्ट्रम आवंटन पर 2010 में पहली बार सवाल तब उठा जब देश के महालेखाकार और नियंत्रक (सीएजी) ने अपनी एक रिपोर्ट में इस स्पेक्ट्रम आवंटन से केन्द्र सरकार के खजाने को नुकसान पहुंचने की बात कही. सीएजी रिपोर्ट में कहा गया कि 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में कंपनियों को नीलामी की बजाए पहले आओ और पहले पाओ की नीति पर स्पेक्ट्रम दिया गया जिसके चलते सरकारी खजाने को 1 लाख 76 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. हालांकि सीबीआई स्पेशल कोर्ट में अभियोजन पक्ष की तरफ से कहा गया कि 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन से केन्द्र सरकार को लगभग 31 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.
सीएजी के रिपोर्ट में यह दावा भी किया गया कि यदि स्पेक्ट्रम लाइसेंस का यह आवंटन समय से और नीलामी के आधार पर किया जाता को केन्द्र सरकार की कमाई में कम से कम एक लाख 76 हजार करोड़ रूपयों का इजाफा होना तय था.
राजा ने यूं पहुंचाया सरकारी खजाने को नुकसान?
लिहाजा, तत्कालीन टेलिकॉम मंत्री ए राजा पर यह आरोप लगा कि उन्होंने आवंटन के नियमों में बदलाव किया और कुछ कंपनियों को फायदा पहुंचाने का काम किया जिससे सरकारी खजाने को नुकसान उठाना पड़ा. दावा यह भी किया गया कि 2जी आवंटन के पूरे खेल में कमीशन का बोल बाला रहा और मंत्रालय के साथ-साथ कई कंपनियां इस सांठगांठ में शामिल रहीं.
लिहाजा मामले की जांच कर रही सीबीआई ने भी अपने आरोप में भी कहा कि ए राजा ने लाइसेंस के लिए आवेदन की तारीख में बदलाव किया और 2008 में हुए इस आवंटन के लिए 2001 के दर से एंट्री फीस वसूली जिसके चलते केन्द्रीय खजाने को करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ा.
लेकिन सीबीआई ने सीएजी के 1 लाख 76 हजार करोड़ रुपये के नुकसान से इतर 30,984 करोड़ रुपये के नुकसान की बात कोर्ट में कही. जिसके बाद 2012 में ए राजा के कार्यकाल में आवंटित सभी टेलिकॉम लाइसेंस को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द करते हुए राजा के खिलाफ मुकदमा चलाने का आदेश दिया था. राजा पहले ही नवंबर 2010 में टेलिकॉम मंत्री के पद से इस्तीफा दे चुके थे और सीबीआई जांच के बीच राजा को फरवरी 2011 में जेल भेज दिया गया. राजा को 15 महीने जेल में रहने के बाद मामले में जमानत दी गई थी.
सीबीआई ने क्यों बताया महज 30,984 करोड़ का नुकसान
खास बात है कि जहां सीएजी ने 2008 में अपनी रिपोर्ट के जरिए सरकारी खजाने को 1 लाख 76 हजार करोड़ रुपये के नुकसान की बात कही वहीं सीबीआई ने 2012 में कोर्ट को महज 30,984 करोड़ रुपये के नुकसान की बात बताई. दरअसल टेलिकॉम मंत्रालय ने 2008 में सभी 122 लाइसेंस आवंटित करते हुए 1 लाख रुपये से अधिक की रकम वसूल ली थी. लिहाजा सीबीआई ने सरकारी खजाने को पहुंचे नुकसान की बात आवंटित लाइसेंस की कमाई की रकम हटाकर कही. वहीं जब सीएजी ने 2008 में अपनी रिपोर्ट पेश की तब उसने आवंटन के लिए रखे सभी लाइसेंस से नुकसान का आंकलन 2001 की तय कीमतों पर 2008 में आवंटन के आधार पर बताया था.