फिनलैंड दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है, जहां मां से ज्यादा पिता अपने बच्चों के साथ वक्त बिताते हैं। यह जानकारी सामने आई है ओईसीडी रिपोर्ट में। द ग्लोबल जेंडर गेप रिपोर्ट ने साल 2016 में फिनलैंड को लैंगिक समानता की लिस्ट में दूसरे नंबर पर रखा था। वहीं इकोनॉमिस्ट ने हालही में इसे कामकाजी मां के लिए तीसरा सबसे अच्छा देश करार दिया था। लेकिन सोचने वाली बात यह है कि 55 लाख की जनसंख्या वाले इस देश में यह कैसे संभव हुआ। विशेषज्ञों का मानना है कि राजनीतिक मंशा, सामाजिक लोकतंत्र की मजबूत परंपरा और अन्य कई ऐसे पहलू हैं, जिनसे यह संभव हुआ है।
फिनलैंड के लोगों का मानना है कि बच्चे के विकास में पिता अहम भूमिका निभाता है। इसको ध्यान में रखते हुए वहां पिता को नौ सप्ताह की पितृत्व अवकाश देने का प्रावधान है। इसके दौरान उनकी 70 फीसदी सैलरी उन्हें दी जाती है। इसके साथ ही इस स्कीम के लिए जागरूक करने के लिए हालही में एक कैम्पेन भी शुरू किया गया है। इस देश में महिलाओं के अधिकारों का विशेष तौर पर ध्यान रखा जाता है। यह विश्व का दूसरा ऐसा देश था, जिसने सबसे पहले महिलाओं को वोट डालने का अधिकार दिया था। इसके साथ ही साल 1906 में महिलाओं को राजनीतिक अधिकार देकर यह ऐसा करने वाला विश्व का पहला देश बन गया था। मौजूदा समय में यहां 42 फीसदी महिला सांसद हैं। वहीं अमेरिका की बात करें तो वहां की कांग्रेस में 19.6 फीसदी महिलाए हैं।
इसके साथ ही इस देश में एक और बात गौर करने वाली है। यहां पर अगर किसी को बच्चा पैदा होता है तो उसे मेडिकल बिल की चिंता करने की जरूरत नहीं होती। प्रेग्नेंट महिला के मेडिकल चेकअप मुफ्त में होते हैं और बेबी के जन्म का चार्ज भी बहुत कम है। वहीं दूसरे देशों में देखा जाए तो यह चार्ज बहुत ज्यादा है। यहां की सरकार पिछले 80 वर्षों से बेबी के जन्म पर पेरेंट्स को ‘बेबी बॉक्स’ देती है। इसमें बच्चे से संबंधित चीजें होती हैं।