नई दिल्ली बर्लिन के एक चर्च में शरणार्थी सईद, वेरोनिका, फरीदा और माटिन ईसाई बनने की शिक्षा ले रहे थे। मामला बीते रविवार का है।
चर्च के पादरी ने उनसे पूछा, ‘क्या आप दिल से यह मानते हैं कि जीज़स क्राइस्ट आपके भगवान हैं और रक्षक हैं और क्या आप अपने जीवन में हर रोज उनके दिखाए रास्ते पर चलेंगे? यदि हां तो हां कहें।’ चारों शरणार्थियों ने ‘हां’ में उत्तर दिया। इसके बाद उन्हें बपतिस्म बेसिन में नहलाया गया।
बपतिस्मा के बाद 20 वर्षीय ईरानी मूल के माटिन ने सीने पर हाथ रखते हुए कहा, ‘मैं बहुत खुश, बहुत खुश। मैं महसूस कर रहा हूं… कैसे कहूं?’ पूरे जर्मनी में कई मुस्लिम शरणार्थी इसी तरह धर्म परिवर्तन कर रहे हैं। 2015 में जर्मनी में 900,000 लोगों ने शरण ली थी। पादरियों के हालांकि यह बात तो मानी कि इस तरह के मामलों में बढ़ोत्तरी हुई है लेकिन उन्होंने इस संबंध में कोई आंकड़े उपलब्ध नहीं कराए।
दक्षिण-पश्चिम जर्मनी के स्पेयर शहर के कैथलिक पादरी फेलिक्स गोल्डिंगर ने कहा, ‘हमारे क्षेत्र में शरणार्थियों के कई समूह के लोग बैप्टिज्म के लिए तैयार हैं और इस तरह की हमारे पास काफी अधिक रिक्वेस्ट आ रही हैं।’ उन्होंने बताया कि इनमें से कई लोग ईरान और अफगानिस्तान के थे और कुछ लोग सीरिया और एरिट्रेया के हैं।
उन्होंने कहा कि अभी मैं 20 लोगों के एक समूह के साथ काम कर रहा हूं, लेकिन मैं इसे लेकर कुछ पक्का नहीं कह सकता कि कितने लोग इनमें से बपतिस्मा से गुजरेंगे। करीब एक साल तक इसकी तैयारी चलती है। जो लोग धर्म परिवर्तन करना चाहते हैं उनमें अपनी इच्छा को और मजबूत करने के लिए कहा जाता है। उन्होंने बताया, ‘यह बहुत जरूरी होता है कि वे अपने मूल धर्म, इस्लाम को जांचें और वे धर्म क्यों बदलना चाहते हैं इस बात का जवाब ढूंढें। जाहिर तौर पर यह हमारे लिए खुशी की बात है कि लोग बपतिस्मा लेना चाहते हैं लेकिन यह भी जरूरी है कि वे इस बारे में पूरी तरह आश्वस्त हों।’
गोल्डिंगर ने कहा कि कई लोगों ने हमसे साझा किया है कि अपने देश में उनके साथ क्या हुआ है। धर्म के नाम पर आतंकवादी घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है। वे ईसाई धर्म को प्रेम और जीवन को सम्मान देने वाले धर्म के रूप में देखते हैं।