दक्षिण भारत में जयललिता की उनके प्रशंसक ‘भगवान’ की तरह पूजा करते हैं। उनकी एक-एक रैली के लिए लाखों समर्थक जुटते थे। अम्मा के प्रशंसक उन पर आंख मूंद कर भरोसा करते थे।अम्मा की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब उनके बीमार होने की खबर आई उस दौरान लोगों ने मन्नत के तौर पर जमीन पर खाना तक खाया। तमिलनाडु की राजनीति में 68 साल की जयललिता के करिश्माई व्यक्तित्व का अंदाजा इसी बात से भी लगाया जा सकता है कि जब 2014 लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी की बाकी राज्यों में आंधी चल रही थी उस दौरान जयललिता की पार्टी को तमिलनाडु में 39 में 37 सीटों पर जीत मिली थी।अम्मा को यह लोकप्रियता बनी बनायी नहीं मिली थी। तमिलों के बीच अम्मा के नाम से लोकप्रिय जयललिता ने अपने पांच साल के कार्यकाल में जनता को लुभाने वाले खूब काम किए। जयललिता ने ‘अम्मा कैंटीन’ शुरू की थी जहां बेहद कम दामों पर भोजन मुहैया कराया जाता है।इतना ही नहीं जयललिता ने अपने शासन के दौरान जनता के लिए अम्मा नाम से एक नया ब्रांड ही शुरू कर दिया। तमिलनाडु में अम्मा मिनरल वॉटर, अम्मा सब्जी की दुकान, अम्मा फार्मेसी यहां तक कि अम्मा सीमेंट भी सस्ती कीमत पर बाजार में मिलने लगे।जयललिता की सफलता की एक बड़ी वजह ये भी रही कि पिछली बार की तरह उनके ऊपर भ्रष्टाचार का कोई बड़ा आरोप नहीं लगा। कर्नाटक हाईकोर्ट से भ्रष्टाचार के पुराने मामले में बरी होने के बाद से उनका और उनके समर्थकों का मनोबल लगातार बढ़ता चला गया।तमिलनाडु की राजनीति में 68 साल की जयललिता के करिश्माई व्यक्तित्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब 2014 लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी की बाकी राज्यों में आंधी चल रही थी उस दौरान जयललिता की पार्टी को तमिलनाडु में 39 में 37 सीटों पर जीत मिली थी। जयललिता अपने राजनीतिक गुरु एमजी रामचंद्रन के बाद सत्ता में लगातार दूसरी बार आने वाली वो तमिलनाडु में पहली राजनीतिज्ञ थीं। इसे महज इत्तेफाक नहीं कह सकते कि एमजीआर की हैट्रिक के बाद से कोई भी पार्टी अब तक तमिलनाडु में लगातार दूसरी पारी भी नहीं खेल पायी थी। तमिलनाडु में सिर्फ एमजी रामचंद्रन ही थे जिन्होंने 1977 से 1988 तक लगातार तीन चुनाव जीतकर हैट्रिक लगाई थी।