नई दिल्ली/जयपुर । दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को अटल बिहारी बाजपेयी का कार्यकाल याद किया और जमकर सराहा। इतना ही नहीं इस मौके पर उन्होंने मायावती की भी तारीफ की। अपनी पुस्तक के विमोचन के मौके पर एक सवाल पर वह भावुक हो गईं। आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला। क्यों और किस मुद्दे पर भावुक हो गईं कांग्रेस की शीला दीक्षित।
दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का कहना है कि जब मैं मुख्यमंत्री थी तो केंद्र की भाजपा सरकार का भी साथ मिला और उत्तर प्रदेश की मायावती सरकार का भी सहयोग मिला, क्योंकि दिल्ली के विकास को कोई रोकना नहीं चाहता था। उन्होंने कहा कि अब परिस्थतियां वैसी नहीं रहीं, दिल्ली के विकास की रफ्तार थम गई है। कोई नया काम नहीं हो रहा है। मुझे पता नहीं कि आपसी समझ बन पाएगी या नहीं, लेकिन दिल्ली के विकास के लिए केंद्र और दिल्ली सरकार में आपसी समझ बननी चाहिए।
शीला दीक्षित ने कहा, ‘मैं जब दिल्ली की मुख्यमंत्री थी तो प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी थे और वह कहते थे कि दिल्ली के हित की जो भी बात हो, उसके लिए पूरा सहयोग मिलेगा। दिल्ली के हित की बात हमारे हित की भी बात है, यह देश की राजधानी है। उस समय जो आपसी समझ थी, वह आज नहीं है और इसलिए दिल्ली रुक गई।’
उन्होंने कॉमनवेल्थ गेम्स की बात भी की और कहा कि उस समय केंद्र सरकार के दो मंत्रियों ने हमें किसी भी तरह की सहायता देने से इन्कार कर दिया था, लेकिन यह देश का सवाल था और हमने खुद समस्त व्यवस्थाएं की। शीला दीक्षित ने दिल्ली को लेकर यह पीड़ा शनिवार को जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में सार्वजनिक की। फेस्टिवल में उनकी पुस्तक ‘डेल्ही माई टाइम, माई लाइफ’ का विमोचन हुआ। इस दौरान पत्रकार विनोद दुआ से संवाद करते हुए उन्होंने दिल्ली में मुख्यमंत्री रहते हुए अपने अनुभव साझा किए।
उन्होंने कहा कि आज मैं दावे से कह सकती हूं कि ये अब तक के सबसे अच्छे कॉमनवेल्थ गेम्स थे, लेकिन किसी ने हमारी तारीफ नहीं की। मेरा सबकुछ दिल्ली में है। दिल्ली मेरे लिए आशा और सपना है, जो दिल्ली ने मुझे दिया वह और कहीं नहीं मिल सकता था। मेरे बचपन की दिल्ली की शांति थी और यहां बहुत कम चीजें हुआ करती थी, तब लोग कहते थे कि आप तो गंवारों की तरह रहते हो । लाइफ देखनी है तो मुंबई या कोलकाता जाओ, लेकिन आज दिल्ली कल्पना से परे जाकर बदल गई है।
कॉलेज लाइफ की चर्चा करते हुए शीला दीक्षित ने कहा कि मैं मिरांडा हाउस में पढ़ती थी और हमारे कॉलेज एवं सेंट स्टीफंस कॉलेज के लिए एक ही बस चलती थी । दोनों कॉलेजों में बड़ा ही अच्छा रिश्ता था और मेरे पति ने मुझे बस में ही शादी के लिए प्रपोज किया था। विवाह के लिए बात चलती रही, क्योंकि उस जमाने में हम माता-पिता की आज्ञा के बिना शादी नहीं कर सकते थे, फिर हमारा अंतरजातीय विवाह हुआ।
राहुल को पीछे बिठाना ठीक नहीं
शीला दीक्षित ने गणतंत्र दिवस समारोह में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को छठी पंक्ति में स्थान दिए जाने को गलत बताया। पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि किसी भी पार्टी अध्यक्ष को पीछे बिठाया जाना गलत है। इससे बिठाने वालों को लेकर गलत संदेश जा रहा है । शीला दीक्षित के बेटे और पूर्व सांसद संदीप दीक्षित ने भी अपनी मां की बात का समर्थन किया।