जबरन धर्मांतरण के खिलाफ ‘सिंधी हिंदू स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ पाकिस्तान’ की ओर से भूख हड़ताल करेंगे छात्र

पाकिस्तान में अल्पसंख्यक लड़कियों के जबरन धर्मांतरण के खिलाफ ‘सिंधी हिंदू स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ पाकिस्तान’ की ओर से रविवार को कराची के प्रेस क्लब के सामने भूख हड़ताल की जाएगी. इसमें सिंध प्रांत के छात्रों के अलावा अन्य पाकिस्तानी उदारवादी लोग शामिल होंगे. पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर जुल्म की दास्तां बढ़ती ही जा रही है. पूरे पाकिस्तान खासकर सिंध प्रांत में अल्पसंख्यक हिंदू व सिख धर्म से जुड़ी लड़कियों का अपहरण कर जबरन धर्मांतरण के मामले लगातार सामने आ रहे हैं, जिसे स्थानीय मीडिया में भी कोई स्थान नहीं मिलता. इसलिए अब स्थानीय अल्पसंख्यक युवाओं के साथ ही कुछ उदारवादी मुस्लिम भी इसके खिलाफ सोशल मीडिया पर मुहिम चला रहे हैं.

‘सिंधी हिंदू स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ पाकिस्तान’ ने फेसबुक के जरिए अपील की है कि अल्पसंख्यक लड़कियों के जबरन धर्म परिवर्तन के मामलों पर रोक लगाने के लिए बड़े आंदोलन की जरूरत है. इसके लिए स्थानीय छात्रों ने सोशल मीडिया पर मुहिम चलाते हुए कराची स्थित प्रेस क्लब के सामने भूख हड़ताल पर बैठने का फैसला लिया है और लोगों को इससे जुड़ने की अपील भी की है.

‘सिंध पीपल्स स्टूडेंट फेडरेशन’ से जुड़े सईद आसिफ रिजवी जैसे अन्य कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अल्पसंख्यकों का साथ देने की अपील की है. रिजवी ने फेसबुक पर लिखा, “पिछले कुछ महीनों में ही पाकिस्तान से 50 अल्पसंख्यक लड़कियों का अपहरण कर उनका जबरन धर्म परिवर्तन कराया गया है. हाल ही में महक कुमारी (14) का मामला सामने आया है, जिसका एक स्थानीय मुस्लिम के साथ जबरन निकाह कर दिया गया. यह अब आम दिनचर्या का हिस्सा बन चुका है, जिसके बारे में राष्ट्र को समर्पित मीडिया भी कोई कवरेज नहीं देता है. इस संबंध में हमारे नेताओं में से भी कोई एक शब्द तक नहीं बोलता.”

रिजवी ने फेसबुक पर एक तस्वीर साझा करते हुए कहा, “यह कश्मीर या फिलिस्तीन नहीं है. यह सिंध, पाकिस्तान का जैकोबाबाद है, जहां जबरन धर्मांतरण के खिलाफ अल्पसंख्यकों द्वारा किए जा रहे शांतिपूर्ण धरने प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. विरोध कर रहे कुछ लड़कों को गिरफ्तार कर लिया गया है.” रिजवी द्वारा साझा की गई तस्वीर में प्रदर्शन वाले स्थान पर तार की बाड़ देखी जा सकती है, जिसकी दूसरी ओर सुरक्षाकर्मी पहरा दे रहे हैं. सोशल मीडिया पर छिड़ी मुहिम के समर्थन में कुछ स्थानीय लोग जुड़ जरूर रहे हैं, मगर अल्पसंख्यकों पर हो रहे जुल्म को रोकने के लिए यह नाकाफी है.

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