गुजरात के भरूच से भारतीय जनता पार्टी के सांसद मनसुख वसावा को मना लिया गया है. मुख्यमंत्री विजय रुपाणी से मुलाकात के बाद मनसुख वसावा ने अपना इस्तीफा वापस लेने का फैसला कर लिया है. दोनों नेताओं की करीब 45 मिनट तक मीटिंग चली, जिसके बाद मनसुख वसावा ने बीजेपी छोड़ने का अपना निर्णय वापस ले लिया है.

मनसुख वसावा ने बीमारी को वजह बताते हुए पार्टी से अपना इस्तीफा दिया था. वसावा ने ये फैसला ऐसे वक्त में लिया था जब पिछले एक महीने से वो इको-सेंसिटिव जोन और आदिवासी लड़कियों की खरीद-फरोख्त को लेकर चिट्ठी लिख रहे थे. दूसरी तरफ ये भी माना जा रहा था कि मनसुख वसावा ने एक आईएएस अधिकारी से नाराज के चलते इस्तीफा देने का फैसला किया था.
मनसुख वसावा गुजरात बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता हैं. वो 6 बार के सांसद हैं. 63 साल के मनसुख वसावा का राजनीतिक करियर काफी लंबा रहा है. 1994 में वसावा सबसे पहले गुजरात विधानसभा का चुनाव जीतकर विधायक बने थे. उन्हें गुजरात सरकार में डिप्टी मिनिस्टर भी बनाया गया था.
इसके बाद उन्होंने 1998 में भरूच सीट से लोकसभा का चुनाव जीता. ये चुनाव उनके बेहद खास था क्योंकि इसके बाद उनकी किस्मत चमक गई और वो लगातार भरूच से चुनाव जीतते चले गए. इसका असर ये हुआ कि जब 2014 में चुनाव जीते तो केंद्र में बनी मोदी सरकार में उन्हें मंत्री बनाया गया. हालांकि, 2019 में वो मोदी कैबिनेट में जगह नहीं बना सके.
इस्तीफा देने के बाद मनसुख वसावा ने कहा था कि उनकी पार्टी और सरकार से कोई शिकायत नहीं है. मेरे करीबी दोस्त भी जानते हैं कि मैं पिछले लंबे समय से बीमार चल रहा हूं. मैंने पार्टी को पहले भी इस मामले में जानकारी दी थी. बहरहाल, फिलहाल ये विवाद निपट गया है. जनवरी में राज्य में स्थानीय निकाय के चुनाव हैं, ऐसे में सीएम विजय रुपाणी की कोशिश ने डैमेज कंट्रोल जरूर कर लिया है.
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