परमवीर चक्र विजेताओं की कहानी को सरकार ने युवाओं तक पहुंचाने के लिए विद्या वीरता अभियान की शुरुआत की थी। इसके तहत विश्वविद्यालयों और कालेजों में शौर्य की दीवार बनाई जा रही है। इस दीवार पर सभी परमवीर चक्र विजेताओं की तस्वीरें और उनकी बहादुरी के किस्से लगाए जा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि इसके तहत सभी परमवीर चक्र विजेताओं की कहानी छात्रों के बीच लाई जाएगी। इसके लिए एनसीईआरटी को पत्र भेजा गया है। हालांकि शौर्य गाथा को वैकल्पिक विषय में शामिल किया जाएगा।
बता दें कि, परमवीर चक्र भारत का सर्वोच्च सैन्य अलंकरण है, जो दुश्मनों की उपस्थिति में उच्च कोटि की शूरवीरता एवं त्याग के लिए प्रदान किया जाता है। ज्यादातर स्थितियों में यह सम्मान मरणोपरांत दिया गया है। इस पुरस्कार की स्थापना 26 जनवरी 1950 को की गई थी। भारतीय सेना के किसी भी अंग के अधिकारी या कर्मचारी इस पुरस्कार के पात्र होते हैं।
इसे देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न के बाद सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार समझा जाता है। इससे पहले जब भारतीय सेना ब्रिटिश सेना के तहत कार्य करती थी तो सेना का सर्वोच्च सम्मान विक्टोरिया क्रॉस हुआ करता था। देश में अभी तक 21 वीरों को यह सम्मान मिला है, जिनमें से 14 को मरणोपरांत और सात को जीवित रहते हुए दिया गया।