शहडोल जिले के सीनियर अनुसूचित जनजाति नवीन बालक छात्रावास में कक्षा 10वीं में पढ़ने वाले छात्र राजा प्रजापति की मौत ने छात्रावास प्रबंधन और व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। राजा प्रजापति, जो ग्राम बोड़री का निवासी था, की तबीयत 22 अगस्त को नाश्ता करने के बाद बिगड़ गई। साथी छात्रों ने उसे जिला अस्पताल पहुंचाया, जहां हालत में सुधार न होने पर उसे मेडिकल कॉलेज जबलपुर रेफर किया गया। वहां 23 अगस्त को उसकी मौत हो गई।
परिजनों ने हॉस्टल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि यदि समय पर ध्यान दिया जाता तो राजा की जान बचाई जा सकती थी। मृतक के बड़े पिता सोमसाय प्रजापति ने कहा, “बच्चा बीमार था लेकिन किसी ने भी गंभीरता से ध्यान नहीं दिया।” राजा के माता-पिता पहले ही गुजर चुके हैं। परिवार में अब केवल उसकी बड़ी बहन अंजली प्रजापति और वृद्ध दादी ही बची हैं। अंजली ने प्रशासन द्वारा दी गई 35 हजार रुपये की सहायता राशि लेने से इनकार करते हुए कहा, “अगर मदद करनी थी तो तब करते जब हम बेबस थे। अब ये पैसे हमारे किस काम के?”
मामले की गंभीरता को देखते हुए शहडोल प्रशासन ने तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की है। एसी ट्रायबल आनंद राय सिन्हा ने बताया कि विद्यार्थी संकटापन्न व कल्याण योजना के तहत 35 हजार की मंजूरी दी गई है और बीईओ के नेतृत्व में समिति को तीन दिन में रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया है। इस घटना से शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था की खामियां फिर उजागर हुई हैं, खासकर आदिवासी छात्रों के संदर्भ में। स्थानीय नागरिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मांग की है कि जांच निष्पक्ष हो और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके।
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