देश के बैंकिंग, वित्तीय सेवा एवं बीमा (बीएफएसआई) क्षेत्र में पिछले दो दशकों में असाधारण वृद्धि देखी गई है। बीएफएसआई क्षेत्र की बाजार पूंजी 50.5 गुना बढ़कर 2025 में 91 लाख करोड़ रुपये पहुंच गई। 2005 में यह सिर्फ 1.8 लाख करोड़ थी। खास बात है कि यह क्षेत्र हर साल 22 फीसदी की चक्रवृद्धि दर से बढ़ रहा है। बजाज फिनसर्व एएमसी की रिपोर्ट के मुताबिक, 20 वर्षों में बीएफएसआई क्षेत्र का जीडीपी में योगदान 2005 के 6 फीसदी से बढ़कर 2025 में 27 फीसदी के स्तर पर पहुंच गया। यह वृद्धि मजबूत वित्तीयकरण, नियामकीय सुधारों और जनसांख्यिकीय लाभांश से प्रेरित है। बीएफएसआई क्षेत्र ने दो दशकों में लगातार बेहतर प्रदर्शन किया है।
बैंकिंग क्षेत्र: अच्छी प्रगति, एनपीए भी घटा
बैंकिंग क्षेत्र ने 10 वित्त वर्षों में अच्छी गति से विकास किया है। बैंक ऋण में 10.71 फीसदी सीएजीआर व जमा में 10.25 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। बैंकों ने बुनियादी ढांचे में सुधार किया है। 2021-22 व 2024-25 के बीच कुल एनपीए 5.8 फीसदी से घटकर से 2.2 फीसदी रह गया। कर्ज की लागत 1.3 फीसदी से घटकर 0.4 फीसदी रह गई। 2025 तक बैंकों का बीएफएसआई की बाजार पूंजी में सिर्फ 57 फीसदी हिस्सा रहा, जो 2005 में 85 फीसदी था।
एनबीएफसी: कुल आय में 18 फीसदी योगदान
2023-24 में कुल बीएफएसआई आय में एनबीएफसी का योगदान 18 फीसदी था। 2009-10 से एनबीएफसी का शुद्ध मूल्य लगभग 15 फीसदी सीएजीआर की दर से बढ़ा है। 20 वर्षों में शुद्ध मुनाफा 31.69 फीसदी की दर से बढ़ा है।
बीमा : पूंजी 10 लाख करोड़
बीमा क्षेत्र का बाजार पूंजीकरण बढ़कर 10.6 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया है। 2006-07 से जीवन बीमा उद्योग का एसेट अंडर मैनेजमेंट (एयूएम) 10 गुना बढ़कर 61.6 लाख करोड़ रुपये हो गया है।
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