नई दिल्ली: टीवी साक्षात्कारों को लेकर राहुल गांधी को दिये गए कारण बताओ नोटिस को चुनाव आयोग द्वारा वापस लिये जाने के बाद कांग्रेस ने आज रात सवाल किया कि यह महज साक्षात्कार के प्रसारण को रोकने की चाल थी या प्रधानमंत्री के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं करने को उचित ठहराने के लिए की गई कोशिश. आयोग ने आदर्श आचार संहिता के कथित उल्लंघन को लेकर गांधी को दिये गये नोटिस को आज रात वापस ले लिया. चुनाव निकाय ने कहा कि जिस प्रावधान के तहत नोटिस जाारी किया गया था, उसकी समीक्षा की जा रही है. 
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया, अगर चुनाव आयोग ने राहुल गांधी को दिया गया नोटिस वापस ले लिया है तो दो असली सवाल निश्चित तौर पर पूछे जाने चाहिए- 1. क्या यह टीवी चैनलों को उनके इंटरव्यू दिखाने से रोकने की चाल थी? और 2. या यह प्रधानमंत्री या मंत्रियों के खिलाफ किसी तरह कार्रवाई नहीं करने या प्राथमिकी दर्ज नहीं करने को उचित ठहराने की कोशिश है?
चुनाव आयोग ने गुजरात में टीवी चैनलों को साक्षात्कार देकर चुनावी प्रावधानों और आचार संहिता का प्रथम दृष्टया उल्लंघन करने को लेकर 13 दिसंबर को राहुल गांधी को कारण बताओ नोटिस जारी किया था. कांग्रेस ने गुजरात में मतदान करने के बाद कथित रोड शो करने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ इसी तरह की कार्रवाई की मांग की थी।
पार्टी ने ‘रोडशो’ को आचार संहिता का उल्लंघन बताया था। चुनाव निकाय को शिकायत मिली थी कि मतदान से 48 घंटे पूर्व प्रचार अभियान समाप्त होने का प्रावधान सूचना-प्रौद्योगिकी के युग में कारगर नहीं रह गया है. इसके बाद आयोग ने प्रावधान में संशोधन को लेकर सुझाव देने के लिए एक समिति के गठन का निर्णय किया है.
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