ईवीएम को लेकर मचे सियासी घमासान के बीच चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि ईवीएम से छेड़छाड़ संभव नहीं है. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में हार के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने ईवीएम में गड़बड़ी का मुद्दा उठाया था. कांग्रेस और आप ने भी इसके समर्थन करते हुए आवाजा उठाई थी कि चुनाव ईवीएम के बजाए मतपत्र से कराया जाए.
आयोग ने कड़े शब्दों में कहा कि ईवीएम में गड़बड़ी की आवाज उठाना बेबुनियाद है. ये सिर्फ अनुमान पर आधारित हैं और बेतुके हैं. आयोग ने स्पष्ट किया कि यूपी या किसी भी अन्य राज्य में चुनाव के दौरान किसी पार्टी या प्रत्याशी ने ईवीएम में गड़बड़ी या छेड़छाड़ की शिकायत नहीं की. ईवीएम से छेड़छाड़ से जुड़ी बसपा की शिकायत में भी कोई ठोस आधार नहीं है. चुनाव प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष रही. आयोग ने कहा कि यदि कोई पार्टी या नेता ठोस साक्ष्यों के साथ सामने आएगा तो निश्चित तौर पर उसकी जांच की जाएगी.
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आयोग ने ये भी कहा कि ईवीएम से छेड़छाड़ की शिकायतों को सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट पहले भी खारिज कर चुकी है. ईवीएम साल 2000 से चुनावों में इस्तेमाल किये जा रहे हैं. अब तक विधानसभा के 107 और तीन लोकसभा चुनाव (2004, 2009 और 2014) हो चुके हैं. एक चैनल पर ईवीएम से छेड़छाड़ के फुटेज पर आयोग ने कहा कि चुराई गई मशीन को बदलकर उसमें छेड़छाड़ का प्रदर्शन किया गया है. लिहाजा उसे आयोग की ईवीएम नहीं माना जा सकता.
आयोग ने अगस्त 2009 में बड़ा कदम उठाते हुए दलों, याचिकाकर्ताओं, विशेषज्ञों को न्योता दिया था कि वे उसके समक्ष मशीन में छेड़छाड़ साबित करें. यूपी, पंजाब समेत दस अलग-अलग राज्यों से 100 ईवीएम मंगाई गईं लेकिन किसी भी ईवीएम में छेड़छाड़ साबित नहीं हो सका.