चीन से सटी सीमा पर भारतीय सैनिकों को और मजबूत किया जा रहा है: सूत्र

पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में सोमवार रात को चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में कर्नल संतोष बाबू सहित 20 जवान शहीद हो गए. चीनी सैनिकों की इस सोची-समझी बर्बर साजिश का सामना करने के लिए भारतीय सैनिकों को भी अब और मजबूत किया गया है.

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, चीन से सटी सीमा पर भारतीय सैनिकों को और मजबूत किया जा रहा है, जिससे कि वो सभी तरह के हमलों का उन्हीं के अंदाज में जवाब दे सकें.

उन्होंने कहा कि भविष्य में अगर चीनी सैनिक लाठी, पत्थर से हमला करते हैं तो हमारी सेना भी उसका उसी तरह जवाब देगी. नियम दोनों देशों के लिए बराबर हैं और उसे मानने में कोई कोताही नहीं होनी चाहिए.

क्योंकि सोमवार रात की झड़प अचानक से भड़की हुई लड़ाई नहीं थी. यह एक सोची समझी साजिश थी, जब चीनी सेना ने पेट्रोलिंग कर रहे कमाडिंग ऑफिसर पर लाठी-डंडे और पत्थरों से हमला किया.

सूत्र ने बताया कि लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) के पास चीनी सेना का मुकाबला करने के लिए भारतीय सेना की तरफ से तेजी से पैदल सेना, तोपें और मशीन वाले हथियार भेजे जा रहे हैं.

हमारी सेना को साफ संदेश है कि भारत अपनी पोजिशन बनाए रखेगा. चीनी हमलों की वजह से हम एक इंच भी छोड़ने को तैयार नहीं हैं. भारत एलएसी की शुचिता को फिर से बहाल करेगा. गलवान वैली में एलएसी कहां है इस बात को लेकर कोई अस्पष्टता नहीं है.

वहीं लद्दाख लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सांसद जमयांग सेरिंग नामग्याल ने गुरुवार को कहा कि अक्साई चिन एक भारतीय क्षेत्र है और अब इसे चीनी कब्जे से वापस लेने का समय आ गया है.

बात करते हुए बीजेपी सांसद ने कहा कि सिर्फ अक्साई चिन ही नहीं, बल्कि गिलगित और बाल्टिस्तान भी लद्दाख का हिस्सा हैं.

बीजेपी सांसद जमयांग सेरिंग नामग्याल ने कहा कि ये 2020 का भारत, 1962 का भारत नहीं है. उन्होंने कहा कि भारतीय चरवाहों को अपने पारंपरिक चारागाहों में जाना चाहिए, जिस पर चीन ने कब्जा किया और चरवाहों को प्रवेश देने से मना कर दिया है. भारत को इन क्षेत्रों पर दावा करना चाहिए और वापस लेना चाहिए.

बीजेपी सांसद जमयांग सेरिंग नामग्याल ने कहा कि हम सीमा सुरक्षा के लिए लद्दाख में स्थानीय लोगों के लिए एक बड़ी भूमिका चाहते हैं.

बता दें, 15 जून की रात लद्दाख की गलवान घाटी में चीन और भारत के सैनिकों के बीच हिंसा हुई थी. इस हिंसा में भारत के 20 जवान शहीद हुए. सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक चीन की PLA पूरी तैयारी के साथ गलवान घाटी में मौजूद थी. उनके पास लोहे की रॉड थीं, उनमें नुकीले कील बंधे हुए थे. इसके अलावा कटीले वायर भी बंधे थे.

रिपोर्ट के मुताबिक, 15 जून की शाम जब 16 बिहार कमांडिंग ऑफिसर कर्नल संतोष बाबू चीन के सैनिकों से बातचीत कर रहे थे कि वो वापस चले जाएं, उस दौरान चीन के सैनिकों ने हमले की तैयारी कर रखी थी.

आर्मी के सूत्रों का कहना है कि चीन के सैनिकों ने ऊंचाई पर पत्थर जमा कर रखे थे. भारतीय सैनिक जमीन पर थे. चीन के सैनिकों के पास प्रोटेक्टिव गियर भी थे. उन्होंने इस तरह की नुकीली आयरन रॉड जमा कर रखी थी. उन्होंने पत्थरबाजी भी की.

जबकि चीन अभी भी पीछे नहीं हटा है. सैटेलाइट तस्वीरों से पता चला है कि चीन ने गलवान घाटी में अपनी मौजूदगी और मजबूत की है. यहां चीन के 200 के करीब ट्रक और कई सारे टेंट नजर आ रहे हैं. साथ ही उसने सैनिकों की संख्या भी काफी बढ़ा दी है.

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