अंतराष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक और सामरिक विस्तार में लगा चीन अपने देश की मुद्रा युआन (रेन्मिंबी) को डॉलर की जगह दिलवाने की योजना पर काम कर रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार इसके लिए चीन पहले एशिया में एक आर्थिक ब्लॉक बनाना चाहता है जिसमें युआन को केंद्रीय मुद्रा बनाने की योजना है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने एक अक्टूबर को युआन को विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) वाली मुद्राओं में शामिल किया था। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापार और अंतरदेशीय लेन-देन में सबसे अधिक डॉलर (करीब 42.5 प्रतिशत) का प्रयोग होता है। अंतरराष्ट्रीय लेन-देन में प्रयोग के मामले में युआन का दुनिया में पांचवा (1.86 प्रतिशत) स्थान है।
एसडीआर में शामिल होने के बाद युआन का इस्तेमाल बढ़ने की उम्मीद है। विश्व की प्रमुख आर्थिक शक्तियां युआन का भंडार बढ़ाएंगी और इसका अंतराष्ट्रीय इस्तेमाल भी बढ़ेगा। विशेषज्ञों के अनुसार 2008 में आई अमेरिकी मंदी के बाद पूरे दुनिया पर हुए उसके असर के बाद से ही चीन युआन के डॉलर की जगह लेने की योजना बना रहा है। अभी अंतरराष्ट्रीय कारोबार के मामले में युआन अमेरिकी डॉलर, यूरो, पाउंड और येन से पीछे है।
अप्रैल 2009 में चीने के तत्कालीन राष्ट्रपति हू जिंताओ ने जी-20 देशों की बैठक में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा व्यवस्था को बहुलतावादी बनाने पर जोर दिया था। चीन के मौजूदा राष्ट्रपति शी जिनपिंग के सत्ता संभालने के बाद चीन ने इस दिशा में तेजी से काम करना शुरू किया। चीनी मुद्रा विशेषज्ञ चेन युलू की किताब “चाइना करेंसी एंड द वर्ल्ड” के मुताबिक चीन अगले कुछ दशकों में चरणबद्ध तरीके से युआन को डॉलर की जगह देखना चाहता है। चेन युलू चीन के केंद्रीय बैंक के डिप्टी गवर्नर हैं।
चेन युलू की योनजा के अनुसार साल 2020 तक चीन पड़ोसी देशों से व्यापार में युआन का प्रयोग सुनिश्चित करना चाहता है। साल 2030 तक वो पूरे एशिया में युआन का प्रभुत्व स्थापित करने की कोशिश करेगा। इस तरह चीन प्रशासन चाहता है कि चरणबद्ध तरीके से साल 2040 तक युआन दुनिया की सबसे अहम मुद्रा बन जाए। इस साल जनवरी में गठित एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (एआईआईबी) भी चीन के मंसूबे पूरा करने में मदद कर सकता है। चीन इस बैंक के तह विकास परियोजनाओं के लिए पैसे लेने वाले देशों से युआन का ज्यादा इस्तेमाल करने के लिए दबाव डालेगा।
विशेषज्ञों के अनुसार कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चीन का शासन होने की वजह से युआन का अंतरराष्ट्रीय प्रभाव बढ़ने के नकारात्मक परिणाम भी हो सकते हैं। चीन अपनी कोशिशों के खिलाप अमेरिकी की प्रतिक्रिया को लेकर भी काफी सावधानी बरत रहा है। अंतरराष्ट्रीय कारोबार में डॉलर के दबदबे की वजह से विभिन्न देशों पर अमेरिका द्वारा कारोबारी प्रतिबंध लगाे जाने का काफी असर देखने को मिलता है। लेकिन चीनी युआन के असर बढ़ने का सीधा फायदा उत्तर कोरिया जैसे देशों को हो सकता है जो अमेरिका के दुश्मन और चीन के दोस्त हैं।
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