चीन ने अमेरिकी डॉलर के वर्चस्व को चुनौती दी, डिजिटल युआन बनेगी भविष्य की करेंसी

चीन की डिजिटल मुद्रा का प्रयोग अपने दौर में सफल रहा है। चीन ने ये प्रयोग कुछ महीने पहले शुरू किया था। इसका इस्तेमाल चीन के चार शहरों में शुरू किया गया। एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक उन शहरों में युआन (चीनी मुद्रा) के डिजिटल संस्करण के जरिए 30 करोड़ डॉलर से अधिक का लेन-देन हो चुका है। वित्तीय जगत में ये चर्चा रही है कि अपनी डिजिटल करेंसी के जरिए चीन वैश्विक अर्थव्यवस्था पर अमेरिकी डॉलर के वर्चस्व को चुनौती देना चाहता है।

अब खबर है कि चीन इस करेंसी को सारे देश में लागू करने की तैयारी में है। उसका इरादा यह है कि इसके पहले कि यूरोपियन सेंट्रल बैंक यूरो का डिजिटल संस्करण बाजार में लाए, युआन का डिजिटल संस्करण एक प्रमुख मुद्रा बन जाए। चीन ने डिजिटल युआन को भविष्य की करेंसी कहा है। उसका दावा है कि इसके इस्तेमाल से खरीदारी न सिर्फ अधिक आसान हो जाएगी, बल्कि अधिक सुरक्षित भी रहेगी। चीनी अधिकारियों ने यह दावा भी किया है कि इस करेंसी से उन लोगों को भी मदद मिलेगी, जिनके पास बैंक खाते नहीं हैं या जो परंपरागत वित्तीय सेवाओं से वंचित हैं।

जानकारों के मुताबिक चीन में अभी भी ज्यादातर लेन-देन डिजिटल माध्यम से ही होता है। लेकिन ये अधिकतर प्राइवेट एप्स के जरिए होता है। यानी यह सरकारी दायरे से बाहर है। डिजिटल करेंसी के इस्तेमाल से सारा लेन-देन एक बार फिर सरकारी दायरे में आ जाएगा। फिर इससे सरकार को ये सूचना भी लगातार मिल पाएगी कि कोई व्यक्ति उस समय कहां है और लोग किन चीजों में अपने पैसे को खर्च कर रहे हैं।

यानी चीनी डिजिटल करेंसी का ढांचा इस क्षेत्र में हुए दूसरे प्रयोगों से बिल्कुल अलग है। सबसे पहले चर्चित हुई डिजिटल मुद्रा बिटकॉइन थी। ऐसे तमाम प्रयोगों में विकेंद्रितकृत ब्लॉकचेन सिस्टम का उपयोग किया गया है। ये तकनीक लेनदेन को किसी व्यक्ति या संगठन के नियंत्रण से बाहर रखती है।  

अमेरिका के साउथ कैरोलीना विश्वविद्यालय के प्रोफेसर फ्रैंक शी ने कहा है कि चीन का डिजिटल युआन सरकारी निगरानी और अर्थव्यवस्था एवं समाज पर सरकारी नियंत्रण को और मजबूत करेगा। यही कारण है कि चीन सरकार डिजिटल करेंसी लागू करने के प्रयासों को तेजी से आगे बढ़ा रही है।

कुछ चीनी विश्लेषकों ने राय जताई है कि अगर युआन का व्यापक रूप से इस्तेमाल शुरू हो जाता है, तो उससे चीन को डॉलर के एकाधिकार को तोड़ने में मदद मिलेगी। उससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर युआन का इस्तेमाल बढ़ेगा। अभी की अंतरराष्ट्रीय वित्तीय व्यवस्था पर अमेरिकी सिस्टम का वर्चस्व है।

क्रेडिट कार्ड के तमाम सिस्टम भी अमेरिका स्थित हैं। पिछले महीने हांगकांग की प्रशासक कैरी लैम ने ये जानकारी दी थी कि उन पर लगाए गए अमेरिकी प्रतिबंधों का असर यह हुआ है कि वे अपने बैंक खाते का इस्तेमाल नहीं कर पा रही हैं। चीन इस हाल को बदलना चाहता है।

लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि चीन की डिजिटल करेंसी आम इस्तेमाल आए, इस रास्ते में अभी कई दिक्कतें हैं। बाहरी दुनिया में लोग इस करेंसी को अपनाएंगे, यह आसान नहीं है। वित्तीय सिस्टम पर चीन सरकार के नियंत्रण के कारण इस करेंसी को लेकर दुनिया में शक काफी गहरा है।

पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना के मुताबिक चीन ने डिजिटल करेंसी शुरू करने की योजना पर 2014 में ही काम शुरू कर दिया था। इस साल इसे प्रयोग के लिए उतारने के पहले छह साल तक अनुसंधान किया गया।

तकनीक जानकारों के मुताबिक युआन डिजिटल में भी ब्लॉकचेन तकनीक के कुछ हिस्सों का इस्तेमाल किया गया है। इसमें हर लेनदेन को एक डिजिटल लेजर (बही) में रिकॉर्ड किया जाता है और वहां इसका पूरा हिसाब-किताब रखा जाता है। चीन को आशा है कि इसका इस्तेमाल बढ़ने के साथ चीन में अब भी जो थोड़ी बहुत नकदी लेनदेन होता है, वह समाप्त हो जाएगा। चीन में हाल के वर्षों में ऑनलाइन भुगतान की कई सेवाएं लोकप्रिय हुई हैँ। उनमें एन्ट ग्रुप का एली-पे और टेसेन्ट ग्रुप का वीचैट-पे सबसे लोकप्रिय हैं।

जानकारों के मुताबिक इनकी बढ़ती लोकप्रियता से चीन सरकार को ये अंदेशा हुआ कि देश में सारा वित्तीय लेनदेन निजी हाथों में जा सकता है। इसलिए उसका तोड़ उसने डिजिटल युआन के रूप में निकाला है। ये प्रयोग कितना सफल होता है, ये देखने पर दुनिया भर की निगाहें टिकी हुई हैं।

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