उत्तरी चीन के शांक्सी में बनें गोल्डन लैम्पस्टैंड चर्च को स्थानीय सरकार ने गिरा दिया है. स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चर्च को 11 जनवरी को सरकार के अधिकारियों ने ध्वस्त कर दिया. चर्च को गिराए जाने के बाद कुछ स्थानीय धार्मिक समूहों ने सरकार और अधिकरियों का विरोध करते हुए इसे तालिबानी स्टाइल करार दिया है.
वहीं, चर्च को गिराए जाने के बाद चीनी सरकार ने अपना रूख स्पष्ट करते हुए कहा है कि यह चर्च अवैध निर्माण के अंतर्गत आता है. सरकर के अधिकारियों का कहना है कि जिस जमीन पर इस चर्च का निर्माण किया गया है, पुलिस को उस शख्स से शिकायत मिली थी. शख्स ने पुलिस को अपनी शिकायत दर्ज कराते हुए कहा है कि उसने कुछ वक्त पहले अपना खेत स्थानीय ईसाई एसोसिएशन को गोदाम बनाने के लिए दिया था, लेकिन एसोशिएशन ने यहां पर चर्च का निर्माण कर दिया.
स्थानीय मीडिया से बातचीत करते हुए स्थानीय आवास विभाग के अधिकारी ने कहा कि वर्ष 2009 में चर्च का निर्माण कार्य रोक दिया था. हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जिस वक्त चर्च का निर्माण कार्य रोका गया था उस वक्त यह पूरी तरह बनकर तैयार हो चुका था. अधिकारी ने यह भी बताया कि वर्ष 2009 में इस चर्च के निर्माण के कारण कई ईसाइयों को हिरासत में भी लिया गया था.
चर्च गिराने का विरोध करने वाले धार्मिक समूह के अध्यक्ष बॉब फू का कहना है कि इस तरह से चर्च गिराने का काम तालिबान और आईएसआईएस करते हैं. उन्होंने सरकार के इस कदम को तालिबान-स्टाइल उत्पीड़न करार दिया है. मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक इस चर्च में तकरीबन 50 हजार सदस्य है. गौरतलब है कि यह कोई पहला मौका नहीं है जब चीन में इस तरह से चर्च को ध्वस्त किया गया हो. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के नेतृत्व में चीन की सरकार चर्चों को ढहाने का काम लगातार कर रही है.
चीन में धार्मिक स्वतंत्रता की बात की जाए तो वहां पर अपनी आस्था के हिसाब ने नागरिकों को धर्म अपनाने की इजाजत है. धर्म अपनाने की इजाजत बेशक से लोगों को हो लेकिन अधिकारियों का धार्मिक स्थलों और धार्मिक समूहों पर हमेशा से नियंत्रण रहा है. चीन की आबादी की बात की जाए तो वर्ष 2014 में चीन में करीब 57 लाख लोग कैथोलिक हैं तो 2.3 करोड़ लोग प्रोटेस्टेंट रह रहे थे.
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