देहरादून: सरकार चारधाम यात्रा मार्ग पर स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार करने जा रही है। इस साल से इन मार्गों पर टेलीमेडिसिन की सुविधा शुरू होगी। यह योजना परवान चढ़ती है तो इसका फायदा यात्रियों को ही नही, बल्कि स्थानीय लोगों को भी मिलेगा। स्वास्थ्य विभाग ने इस ओर अभी से तैयारियां करनी शुरू कर दी है। विभाग का मानना है कि इससे हाई एल्टीट्यूड से होने वाली बीमारियां या दुर्घटना की स्थिति में बीमार, और घायलों को विशेषज्ञ चिकित्सकों से इलाज मिल सकेगा।
गत वर्ष चारधाम यात्रा के दौरान तकरीबन 112 यात्रियों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। इनमें से 91 यात्रियों को ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक, शुगर और दमे के कारण जान गंवानी पड़ी थी। जबकि 21 यात्री दुघर्टनाओं के कारण मौत का शिकार हुए थे। चारधाम यात्रा के दौरान हर साल तीर्थयात्रियों के बीमार पड़ने, दुर्घटना के मामले सामने आते हैं और कई मामलों में इनकी मौत भी हो जाती है।
इसकी सबसे बड़ी वजह यात्रा मार्गों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी को भी माना जाता है। ऐसे में सरकार चारधाम यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए इन मार्गों पर यात्रा शुरू होने से पहले टेलीमेडिसिन सेवा शुरू करने की योजना बना रही है। टेलीमेडिसिन तकनीक का उपयोग करने के लिए अप्रैल माह में फार्मेसिस्ट, डॉक्टर और नर्सों को विशेष ट्रेनिंग दी जाएगी।
इस योजना के तहत फिलहाल चार धाम यात्रा मार्गों के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को चिह्नित किया गया है, जिन्हें श्रीनगर मेडिकल कॉलेज से जोड़ा जाएगा। स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. अर्चना श्रीवास्तव के अनुसार, यात्रा काल में श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में विशेषज्ञ चिकित्सक मौजूद रहेंगे। जो टेलीमेडिसन के जरिए सीएचसी आने वाले मरीजों की जांच रिपोर्ट के आधार पर परामर्श देंगे।
4 सीएचसी में शुरुआत
टेलीमेडिसिन सेवा के लिए राज्य सरकार ने आइटी कंपनी हेवलेट पेकार्ड इंटरप्राइजेस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड से अनुबंध किया है। जिसके अंतर्गत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर लगभग 65 प्रकार के मेडिकल टेस्ट करवाने व तुरंत रिजल्ट अपलोड करने के साथ ही प्रमुख व आवश्यक पैथोलॉजी उपकरण तथा आइटी उपकरण प्रदान किए जाएंगे। साथ ही एक-एक स्टूडियो की भी स्थापना की जायेगी। स्टूडियो में कंपनी की ओर से विशेषज्ञ चिकित्सक मौजूद रहेंगे।
क्या है टेलीमेडिसिन
इसके तहत अस्पतालों में ई-सेंटर स्थापित किए जाते हैं। जहां कर्मचारी मरीजों की जांच करते हैं। जांच की रिपोर्ट तुरंत इंटरनेट के माध्यम से सर्वर में अपलोड की जाती है। रिपोर्ट का विशेषज्ञ डॉक्टर अध्ययन करते हैं और इलाज की सलाह देते हैं।