धार्मिक मत है कि चातुर्मास के दौरान भगवान विष्णु संग मां लक्ष्मी की पूजा करने से व्यक्ति के सकल मनोरथ सिद्ध या पूर्ण होते हैं। साथ ही सुख और सौभाग्य में भी वृद्धि होती है। जगत के नाथ की कृपा से सभी बिगड़े काम भी बन जाते हैं। इसके लिए चातुर्मास के दौरान विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।
सनातन धर्म में चातुर्मास का विशेष महत्व है। इसकी शुरुआत आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि से होती है। इस दिन देवशयनी एकादशी मनाई जाती है। सनातन शास्त्रों में निहित है कि देवशयनी एकादशी तिथि से भगवान विष्णु क्षीर सागर में विश्राम करने चले जाते हैं। वहीं, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जागृत होते हैं। इस तिथि पर देवउठनी एकादशी मनाई जाती है।
भगवान विष्णु के योग निद्रा में जाने की तिथि से लेकर जागृत होने की तिथि तक कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। इस अवधि को चातुर्मास कहा जाता है। चातुर्मास के दौरान भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है। अगर आप भी भगवान विष्णु की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो चातुर्मास के दौरान जग के नाथ की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय रोजाना भगवान विष्णु के 108 नामों का मंत्र जप करें।
भगवान विष्णु के 108 नाम
- ऊँ श्री प्रकटाय नम:
- ऊँ श्री वयासाय नम:
- ऊँ श्री हंसाय नम:
- ऊँ श्री वामनाय नम:
- ऊँ श्री गगनसदृश्यमाय नम:
- ऊँ श्री लक्ष्मीकान्ताजाय नम:
- ऊँ श्री प्रभवे नम:
- ऊँ श्री गरुडध्वजाय नम:
- ऊँ श्री परमधार्मिकाय नम:
- ऊँ श्री यशोदानन्दनयाय नम:
- ऊँ श्री विराटपुरुषाय नम:
- ऊँ श्री अक्रूराय नम:
- ऊँ श्री सुलोचनाय नम:
- ऊँ श्री भक्तवत्सलाय नम:
- ऊँ श्री विशुद्धात्मने नम :
- ऊँ श्री श्रीपतये नम:
- ऊँ श्री आनन्दाय नम:
- ऊँ श्री कमलापतये नम:
- ऊँ श्री सिद्ध संकल्पयाय नम:
- ऊँ श्री महाबलाय नम:
- ऊँ श्री लोकाध्यक्षाय नम:
- ऊँ श्री सुरेशाय नम:
- ऊँ श्री ईश्वराय नम:
- ऊँ श्री विराट पुरुषाय नम:
- ऊँ श्री क्षेत्र क्षेत्राज्ञाय नम:
- ऊँ श्री चक्रगदाधराय नम:
- ऊँ श्री योगिनेय नम:
- ऊँ श्री दयानिधि नम:
- ऊँ श्री लोकाध्यक्षाय नम:
- ऊँ श्री जरा-मरण-वर्जिताय नम:
- ऊँ श्री कमलनयनाय नम:
- ऊँ श्री शंख भृते नम:
- ऊँ श्री दु:स्वपननाशनाय नम:
- ऊँ श्री प्रीतिवर्धनाय नम:
- ऊँ श्री हयग्रीवाय नम:
- ऊँ श्री कपिलेश्वराय नम:
- ऊँ श्री महीधराय नम:
- ऊँ श्री द्वारकानाथाय नम:
- ऊँ श्री सर्वयज्ञफलप्रदाय नम:
- ऊँ श्री सप्तवाहनाय नम:
- ऊँ श्री श्री यदुश्रेष्ठाय नम:
- ऊँ श्री चतुर्मूर्तये नम:
- ऊँ श्री सर्वतोमुखाय नम:
- ऊँ श्री लोकनाथाय नम:
- ऊँ श्री वंशवर्धनाय नम:
- ऊँ श्री एकपदे नम:
- ऊँ श्री धनुर्धराय नम:
- ऊँ श्री प्रीतिवर्धनाय नम:
- ऊँ श्री केश्वाय नम:
- ऊँ श्री धनंजाय नम:
- ऊँ श्री ब्राह्मणप्रियाय नम:
- ऊँ श्री शान्तिदाय नम:
- ऊँ श्री श्रीरघुनाथाय नम:
- ऊँ श्री वाराहय नम:
- ऊँ श्री नरसिंहाय नम:
- ऊँ श्री रामाय नम:
- ऊँ श्री शोकनाशनाय नम:
- ऊँ श्री श्रीहरये नम:
- ऊँ श्री गोपतये नम:
- ऊँ श्री विश्वकर्मणे नम:
- ऊँ श्री हृषीकेशाय नम:
- ऊँ श्री पद्मनाभाय नम:
- ऊँ श्री कृष्णाय नम:
- ऊँ श्री विश्वातमने नम:
- ऊँ श्री गोविन्दाय नम:
- ऊँ श्री लक्ष्मीपतये नम:
- ऊँ श्री दामोदराय नम:
- ऊँ श्री अच्युताय नम:
- ऊँ श्री सर्वदर्शनाय नम:
- ऊँ श्री वासुदेवाय नम:
- ऊँ श्री पुण्डरीक्षाय नम:
- ऊँ श्री नर-नारायणा नम:
- ऊँ श्री जनार्दनाय नम:
- ऊँ श्री चतुर्भुजाय नम:
- ऊँ श्री विष्णवे नम:
- ऊँ श्री केशवाय नम:
- ऊँ श्री मुकुन्दाय नम:
- ऊँ श्री सत्यधर्माय नम:
- ऊँ श्री परमात्मने नम:
- ऊँ श्री पुरुषोत्तमाय नम:
- ऊँ श्री हिरण्यगर्भाय नम:
- ऊँ श्री उपेन्द्राय नम:
- ऊँ श्री माधवाय नम:
- ऊँ श्री अनन्तजिते नम:
- ऊँ श्री महेन्द्राय नम:
- ऊँ श्री नारायणाय नम:
- ऊँ श्री सहस्त्राक्षाय नम:
- ऊँ श्री प्रजापतये नम:
- ऊँ श्री भूभवे नम:
- ऊँ श्री प्राणदाय नम:
- ऊँ श्री देवकी नन्दनाय नम:
- ऊँ श्री सुरेशाय नम:
- ऊँ श्री जगतगुरूवे नम:
- ऊँ श्री सनातन नम:
- ऊँ श्री सच्चिदानन्दाय नम:
- ऊँ श्री दानवेन्द्र विनाशकाय नम:
- ऊँ श्री एकातम्ने नम:
- ऊँ श्री शत्रुजिते नम:
- ऊँ श्री घनश्यामाय नम:
- ऊँ श्री वामनाय नम:
- ऊँ श्री गरुडध्वजाय नम:
- ऊँ श्री धनेश्वराय नम:
- 103.ऊँ श्री भगवते नम:
- ऊँ श्री उपेन्द्राय नम:
- ऊँ श्री परमेश्वराय नम:
- ऊँ श्री सर्वेश्वराय नम:
- ऊँ श्री धर्माध्यक्षाय नम:
- ऊँ श्री प्रजापतये नम: