हालांकि मेकर्स का मानना है कि जब फिल्म को ‘A’ सर्टिफिकेट दिया जा रहा है तो फिर इन कट का कोई औचित्तय नहीं बैठता। फिल्म के डायरेक्ट तबरीज नूरानी ने इस फिल्म को बनाने के लिए 12 साल का इंतजार किया है।
उनका कहना है, ‘मैंने इस फिल्म के लिए काफी शोध किया है, वेश्यालयों का दौरा किया, यहां तक कि एनजीओ की मदद से मांस व्यापार से यौन मजदूरों को बचाया। इस फिल्म के लिए मैंने काफी मेहनत की है।’
तबरीज का मानना है कि सिनेमा में मानव तस्करी के विषय पर रवैया ज्यादा ठीक नहीं है। उन्होंने कहा, ‘मानव तस्करी पर मैंने अभी तक सबसे प्रभावशाली फिल्म देखी है लुकास मूडिससन की ‘लिलिया’ वरना भारत में ‘लक्ष्मी’ और प्रदीप सरकार की ‘मर्दानी’ जैसी थीम पर भारतीय फिल्मों का व्यापक प्रभाव पड़ने के लिए प्रभावशाली नहीं है।’