सीमावर्ती क्षेत्र में दर्जनों गांवों में सैकड़ों बेसहारा पशु घूम कर फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। लेकिन आज तक इन गांवों के लिए एक भी गोशाला का निर्माण नहीं हो सका। जिसमें बेसहारा पशु को रखा जा सके। ग्रामीण गांवों में घूम रहे पशुओं को जंगल के किनारे भगा देते हैं। जिनके शिकार के इरादे से बाघ भी जंगलों से बाहर निकल आते हैं। इससे मानव वन्यजीव संघर्ष का भी खतरा बना रहता है।
क्षेत्र के अंतर्गत नेपाल सीमावर्ती क्षेत्र में सुंदरनगर, बंदरबोझ, नौजल्हा नकटाह, गभिया सहराई समेत दर्जनों गांव बसे हुए हैं। इन गांवों की आबादी भी पचास हजार से अधिक है। सीमावर्ती गांव के अधिकतर लोग कृषि पर ही आश्रित हैं। लेकिन यहां के ग्रामीणों के लिए क्षेत्र में घूम रहे बेसहारा पशु सबसे बड़ी समस्या बने हुए हैं। आए दिन बेसहारा पशु किसानों के खेतों में घुसकर फसलों को बर्बाद कर रहे हैं।
झुंड बनाकर पशु क्षेत्र में भारी नुकसान पहुंचाते रहते हैं। बेसहारा पशुओं को रखने के लिए सरकार द्वारा गोशालाओं का निर्माण भी कराया गया। लेकिन सीमावर्ती क्षेत्र में आज तक एक भी गोशाला का निर्माण नहीं हो सका। यहां के लोग बेसहारा पशुओं के नुकसान से काफी परेशान है। यहां के ग्रामीणों ने कई बार प्रशासन से गोशाला निर्माण के लिए मांग भी की।
ग्रामीण इन पशुओं को खेतों से भगाते हैं तो यह पशु जंगल के किनारे चले जाते हैं। बाघ इन्हें अपना शिकार भी बना लेता है। कभी-कभी बेसहारा पशुओं के पीछे पीछे बाघ भी जंगलों से निकलकर आबादी की ओर आ जाते हैं। बाघों से अक्सर ग्रामीणों को भी खतरा बना रहता है। कुछ दिन पूर्व ही मजहरा क्षेत्र में एक महिला पर बाघ ने हमला कर दिया था। हमले से महिला घायल हो गई थी। कलीनगर की एसडीएम शिखा शुक्ला ने बताया कि गोशाला निर्माण का कार्य ब्लाक स्तर से कराया जाता है। यदि मुझसे गोशाला निर्माण के लिए भूमि की मांग की जाएगी तो भूमि तलाशी जाएगी।