पणजी: गोवा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अपने पारंपारिक धर्मनिरपेक्ष वोट बैंक को साधने की कोशिश में है। पार्टी इस वोट को एकजुट बनाए रखने के लिए हर मुमकिन प्रयास कर रही है। लेकिन, तृणमूल कांग्रेस (TMC) और आम आदमी पार्टी (AAP) के चुनाव लड़ने से कांग्रेस के समीकरण बिगड़ सकते हैं, क्योंकि इससे वोट बंटने की संभावना हैं। वर्ष 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के बीच महज चार फीसदी वोट का अंतर था। चालीस सीट वाली विधानसभा में दस सीट पर हार-जीत का फैसला एक हजार वोटों से भी कम था। इन दस में से पांच सीट पर कांग्रेस और चार सीट पर भाजपा ने जीत हासिल की थी। जबकि एक सीट निर्दलीय उम्मीदवार ने कांग्रेस के उम्मीदवार को शिकस्त दी थी।
गोवा प्रदेश कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि चुनाव 2017 के मुकाबले अधिक मुश्किल है। AAP ने पिछले चुनाव में भी किस्मत आजमाई थी, हालांकि, उस वक़्त AAP को कोई सीट तो नहीं मिली थी, लेकिन छह फीसदी वोट हासिल करने में कामयाब हुई थी। यह कांग्रेस व भाजपा के बीच अंतर से अधिक है। बता दें कि गोवा में TMC और महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (MGP) गठबंधन में चुनाव लड़ रही है। पिछले चुनाव में MGP को तीन सीट और 11 फीसद वोट प्राप्त हुआ था। ऐसे में TMC और MGP का गठबंधन कांग्रेस के लिए मुसीबत बन सकता है। क्योंकि, राज्य में MGP का अपना वोट बैंक है।
इसके साथ ही कांग्रेस के पास बहुत अच्छे प्रत्याशियों की भी कमी है। वर्ष 2017 में कांग्रेस को 17 सीट मिली थी, पर विगत पांच वर्षों में अधिकतर MLA साथ छोड़ चुके हैं। यह MLA किसी दूसरी पार्टी में शामिल हो चुके हैं। इससे पार्टी की चुनावी राह और कठिन हो गई है। इस सबके बाद भी कांग्रेस गोवा से उम्मीद लगाए बैठी है। चुनाव रणनीति से जुड़े प्रदेश कांग्रेस के एक नेता के अनुसार, पिछले चुनाव की तरह इस चुनाव में भी लोग दिल्ली और कोलकाता की पार्टी को वोट नहीं करेंगे। बेरोजगारी, महंगाई और सांप्रदायिक हिंसा गोवा चुनाव में एक बड़ा मुद्दा होगा।