देहरादून: राष्ट्रीय नदी गंगा को स्वच्छ और निर्मल बनाने के लिए केंद्र की महत्वाकांक्षी नमामि गंगे परियोजना का असर उत्तराखंड में नजर आने लगा है। उद्गम स्थल गोमुख से लेकर लक्ष्मणझूला (ऋषिकेश) तक गंगा के जल की ‘ए-श्रेणी’ की गुणवत्ता बरकरार है। उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) की ताजा रिपोर्ट बताती है कि तीर्थाटन-पर्यटन के लिहाज से भारी जनदबाव के बावजूद लक्ष्मणझूला तक गंगा का पानी पीने योग्य बना हुआ है।
अलबत्ता, हरिद्वार में यह केवल नहाने लायक यानी बी श्रेणी में है। सुझाव दिया गया है कि देहरादून को नमामि गंगे में शामिल कर लिया जाए तो यह दिक्कत दूर हो सकती है। कारण ये कि दून की सौंग नदी समेत अन्य नदी-नाले गंगा में गंदगी का कारण बन रहे हैं।
नमामि गंगे परियोजना पर केंद्र सरकार का खास फोकस है। करीब 20 हजार करोड़ की लागत वाली इस परियोजना के तहत उत्तराखंड में लगभग 1100 करोड़ रुपये के कार्य होने हैं। इसमें खास फोकस सीवरेज ट्रीटमेंट पर है। बड़े पैमाने पर नाले टैप किए गए हैं तो गंगोत्री से लक्ष्मणझूला तक कई जगह सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट तैयार हो चुके हैं। यही नहीं, राज्य के ग्रामीण इलाकों को भी अब खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) घोषित किया जा चुका है।
इन प्रयासों का ही नतीजा है कि राज्य में लाखों की संख्या में तीर्थयात्रियों व सैलानियों की आमद के बावजूद गंगोत्री से लक्ष्मणझूला तक गंगा का पानी पीने योग्य बना हुआ है। गुजरे यात्रा सीजन की ही बात करें तो बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री के साथ ही हेमकुंड साहिब में दर्शनों को पहुंचे यात्रियों की संख्या 23.24 लाख थी।
इसके अलावा कांवड़ यात्रा में लाखों श्रद्धालु उमड़ते हैं। सैलानियों की भी आमद भी बढ़ी है। इसके बावजूद गंगा का पानी स्वच्छ निर्मल रहना अपने आप में किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं है। पीसीबी की हालिया रिपोर्ट पर गौर करें तो गंगोत्री से लेकर हरिद्वार तक गंगा के पानी की 15 स्थानों पर मॉनीटरिंग की जाती है। इसमें बात सामने आई कि गंगोत्री से लक्ष्मणझूला तक गंगाजल की ‘ए’ श्रेणी बरकरार है। यानी यह पानी स्वच्छ और पीने योग्य है।