दुनिया सिख समुदाय के प्रथम गुरु नानक देव का प्रकाश पर्व मनाने के लिए तैयार है। भारत से भी नानकाना साहिब जाने के लिए जत्थे रवाना हो चुके हैं। ऐसे में पाकिस्तान में भारतीय उच्चायोग भी सुरक्षा के लिए अलर्ट मोड पर है। खबर है कि उच्चायोग स्थानीय अधिकारियों के सहयोग से सुरक्षा के लिए काम कर रहा है।
गुरुपुरब उत्सव के लिए श्रद्धालु पड़ोसी देश पहुंच रहे हैं। इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग की कान्सुलर टीम भी पाकिस्तान के अलग-अलग गुरुद्वारा तक यात्रा में सहयोग करने और सुरक्षा प्रदान करने के लिए तैनात हैं।
ननकाना साहिब में गुरु नानक जयंती मनाने जत्था पाकिस्तान पहुंचा
ननकाना साहिब में आठ नवंबर को गुरु नानक जयंती समारोह में शामिल होने के लिए सिख श्रद्धालुओं के कई जत्थे रविवार को अटारी-वाघा सीमा से पाकिस्तान पहुंचे। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि करीब 2,500 तीर्थयात्री पाकिस्तान गए हैं।
पाकिस्तान के ‘इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड’ (ईटीपीबी) के अतिरिक्त सचिव राणा शाहिद और पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष अमीर सिंह और अन्य अधिकारियों ने वाघा सीमा पर तीर्थयात्रियों की अगवानी की।
ईटीपीबी के प्रवक्ता आमिर हाशमी ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘रविवार को बाबा गुरु नानक की जयंती में शामिल होने के लिए भारत से 2,500 से अधिक सिख श्रद्धालु लाहौर पहुंचे हैं। बाद में उन्हें ट्रेन से ननकाना साहिब ले जाया गया।’
वहीं, भारत में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के सदस्य मनजीत सिंह ने कहा कि गुरु नानक देव के ‘प्रकाश गुरुपर्व’ को मनाने के लिए दुनिया भर में कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं लेकिन उनके जन्मस्थान (ननकाना साहिब) में आयोजित समारोह का हिस्सा होना तीर्थयात्रियों के लिए बहुत सौभाग्य की बात है।
एसजीपीसी के एक अन्य अधिकारी ने कहा कि तीर्थयात्री पाकिस्तान में अन्य ऐतिहासिक सिख तीर्थस्थलों का भी दौरा करेंगे। उन्होंने कहा कि सात नवंबर को तीर्थयात्रियों का जत्था शेखुपुरा स्थित गुरुद्वारा सच्चा सौदा में मत्था टेकेगा।
उन्होंने कहा कि सिख श्रद्धालु आठ नवंबर को गुरुद्वारा ननकाना साहिब में आयोजित समारोह में हिस्सा लेंगे जबकि तीर्थयात्री नौ नवंबर को हसन अब्दाल में गुरुद्वारा पंजा साहिब के लिए प्रस्थान करेंगे और 10 नवंबर को वहां रुकने के बाद 11 नवंबर को लाहौर के गुरुद्वारा डेरा साहिब पहुंचेंगे। अधिकारी ने बताया कि पाकिस्तान के कई अन्य गुरुद्वारों में मत्था टेकने के बाद जत्थे 15 नवंबर को वापस भारत लौटेंगे।