पश्चिमी देशों में ईस्टर त्यौहार सबसे अहम् है, यह उनके लिए एक जश्न का मौका है. तीन दिन चलने वाला यह ईस्टर त्यौहार गुड़ फ्राइडे से शुरू होता है. इस दिन यीशू को सलीब पर चढ़ाया गया था. ईसाई धर्म की पौराणिक कथाओं के अनुसार ईसा मसीह फिर से जी उठे थे. रविवार यानी ईस्टर सन्डे को उनके वापस जीवित होने की खुशी इन अंडो के भीतर छिपी है, ऐसी कुछ मान्यताएं अंडों को सजाने के पीछे मानी गई हैं.
चालीस दिन के लेंट के कठिन व्रत के बाद आया यह त्यौहार लोगों को खूब खाने पीने का और परिवार वालों के साथ समय गुज़ारने का मौका देता है. सारे बाज़ार रंग बिरंगे ईस्टर अंडों से सजे रहते हैं. चाकलेट, गत्तों और फूलों से बने स्वादिष्ट ईस्टर खरगोश भी बच्चों को लुभाते हैं और बच्चे, बूढ़े और जवान, सभी छक्कर कैंडी और चाकलेट खाते हैं.
यूरोप में ईस्टर कई अनूठे ढंगों से मनाया जाता है.शनिवार रात को घर के बड़े रंग बिरंगे सजे धजे अंडे घरों के कोनों अतरों में छिपाते हैं और रविवार सुबह बच्चे इन अंडों को ढूँढ़ते हैं. जर्मनी में तो यह रिवाज खासा लोकप्रिय है. कई बार छोटे बच्चों को यह प्रलोभन दिया जाता है कि यदि वे बड़ों का कहना मानेंगे, तो ईस्टर खरगोश उन्हें खुद आकर स्वादिष्ट अंडे देगा. इसके अलावा स्कॉटलैंड और पूर्वी इंग्लैंड में टीलों पर से अंडे लुढ़काने का रिवाज है. नॉर्वे और स्वीडन सरीखे देशों में ईस्टर मनाने का तरीका बिल्कुल अनूठा है. यहां के लोग ईस्टर पर पहाड़ों पर बने लकड़ी के केबिनों में रहते हैं और बर्फ़ में स्कींग करने जाते हैं. इसके अलावा लोग इस मौके पर अंडों पर चित्रकारी भी करते हैं. लोग ईस्टर के मौके पर जासूसी फ़िल्में देखना और इसी तरह के उपन्यास पढ़ना भी पसंद करते हैं.
इस त्यौहार के नाम ईस्टर होने के पीछे कुछ विद्वानों का मानना है कि इस शब्द की उत्पत्ति ईस्त्र शब्द से हुई है. यूरोप की ट्यूटौनिक पौराणिक कथाओं के अनुसार ईस्त्र वसंत और उर्वरता की देवी थी. माना जाता है कि पूरे अप्रैल इस देवी की प्रशंसा में उत्सव होते थे और इस उत्सव के कई अंश यूरोप के ईस्टर उत्सवों में आज भी पाए जाते हैं. उदाहरण के लिए ईस्टर खरगोश और ईस्टर अंडों का रिवाज इन पुरानी कथाओं से जुड़ा हुआ है. अंडा एक नई ज़िंदगी की उत्पत्ति और पुनर्निर्माण का एक पुराना निशान माना जाता है. ऐसे ही बच्चों के चहेते ईस्टर खरगोश का ईसाइयों की धर्म पुस्तक बाइबल में कहीं भी जि़क्र नहीं है.