देश के वरिष्ठ दलित नेता में शुमार केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का कहना है कि उना में दलितों पर हुआ अत्याचार एक ‘छोटी घटना’ थी.
लोक जनशक्ति पार्टी के प्रमुख पासवान गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी के लिए घर-घर जाकर प्रचार के लिए उतरे है. यहां उन्होंने मीडियाकर्मियों से बातचीत में कहा, मैं इतना कहना चाहता हूं कि छोटी-मोटी घटनाएं होती रहती हैं. हमारे बिहार में भी ऐसी घटनाएं होती है. गुजरात में एक छोटी सी घटना हो गई… उना (घटना) हुई. गुजरात में खूब हंगामा मच… लेकिन सरकार का काम है कार्रवाई करना. जब भी ऐसी घटना होती है, तो उसके बाद क्या कदम उठाए गए यह महत्वपूर्ण है.
पासवान ने कहा कि गुजरात भारत का केंद्र बिंदु है और उसे गर्व होना चाहिए कि देश के सबसे लोकप्रिय प्रधानमंत्री इस राज्य से है.
उना घटना को लेकर पासवान के इस बयान पर राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच के संयोजक और राज्य में दलित चेहरे के तौर पर उभर जिग्नेश मेवानी ने आलोचना की है. उन्होंने इसे ‘शर्मनाक बयान’ करार देते हुए पासवान के इस्तीफे की मांग की है.
मेवानी ने कहा, ‘उना में दलितों पर अत्याचार को छोटी घटना बताने वाला पासवान का बयान शर्मनाक और उन दलितों के जख्म पर नमक छिड़कने जैसा है, जिन्हें अधनंगा करके पीटा और शहर में घुमाया गया. इस घटना को लेकर राज्य भर में हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान करीब 30 दलितों ने जहर खा लिया, सड़कें और रेल लाइनें ठप रहीं. यह एक निर्मम घटना थी. हम यह मांग करते हैं कि इस तरह का शर्मनाक बयान देने वाले पासवान जी का बीजेपी इस्तीफा ले.’
हालांकि जब पासवान से पूछा गया कि जुलाई 2015 में उना में दलितों की पिटाई को ‘छोटी घटना’ बताते हुए इसे न्यायोचित बताने की कोशिश कर रहे हैं, तो वह साफ किया कि ‘दलित पर कहीं भी हुआ अत्याचार न्योयोचित नहीं ठहराया जा सकता. मेरा कहना है कि पीएम मोदी पहले ही सार्वजनिक मंच पर कह चुके हैं कि गोरक्षकों की किसी भी समाज विरोधी गतिविधि को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.’