नई दिल्ली/अहमदाबाद. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपने गढ़ गुजरात में छठी बार चुनाव जीत लिया है. कुछ साल पहले अमित शाह ने कहा था कि गुजरात संघ की प्रयोगशाला है और बीजेपी यहां से कभी नहीं हारेगी. शाह का वह बयान 2017 में सही साबित होता दिखाई दिया, जहां कई चुनौतियों के बावजूद बीजेपी सत्ता बचा पाने में कामयाब रही. हालांकि बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीटों का फासला बेहद कम रहा. अब, बीजेपी ने राज्य में सीएम के चयन के लिए अरुण जेटली और सरोज पांडे को पर्यवेक्षक नियुक्त किया है.
2014 में केंद्र में मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद राज्य में आनंदीबेन पटेल को सीएम बनाया गया था. गुजरात में पाटीदार आंदोलन के बाद बदले राजनीतिक हालात में बीजेपी ने नया चेहरा चुना. विजय रुपानी को सीएम बनाया जबकि नितिन पटेल को डिप्टी सीएम. कांग्रेस के साथ साथ पाटीदार आंदोलन का सामना करके बीजेपी राज्य में जीत तो गई है लेकिन उसे सीएम पद के लिए कोई ऐसा चेहरा नहीं मिल रहा है जो मोदी का सही मायने में उत्तराधिकारी बन सके.
विजय रुपानी, नितिन पटेल और आनंदीबेन पटेल ही नहीं, गुजरात में बीजेपी के नेताओं की पंक्ति में कहीं कोई आक्रामक छवि वाला नेता दिखाई नहीं देता है. चुनाव में जीत के जो आंकड़े मिले हैं उसके बाद सूत्र बता रहे हैं कि गुजरात में बीजेपी अपना मुख्यमंत्री बदल सकती है. शायद इसीलिए मोदी-शाह ने जेटली को गुजरात भेजने का फैसला किया है.
मीडिया रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि विजय रुपानी की जगह किसी दूसरे नेता को सीएम का पद दिया जा सकता है. मोदी के गुजरात से जाने के बाद बीजेपी में एक रिक्तता पैदा हो चुकी है. बीजेपी ऐसे चेहरे की तलाश में है जो मजबूत शख्सियत तो हो लेकिन मोदी के विजन को भी धरातल पर लाने का काम कर सके और संगठन को भी एक कर सके. सूत्र बता रहे हैं कि कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी इस दौड़ में सबसे आगे हैं.
स्मृति अपनी नेतृत्व क्षमता को कई मौकों पर साबित कर चुकी हैं. वह गुजरात से न सिर्फ राज्यसभा सांसद हैं बल्कि गुजराती भी अच्छी जानती हैं. गुजरात चुनाव प्रचार में वह कई बार दिखाई दीं. स्मृति मोदी-शाह के भरोसेमंद नेताओं में से हैं. इन्हीं सब वजहों से सूत्र स्मृति के नाम को इस दौड़ में सबसे आगे बता रहे हैं. सीएम पद के इस रेस में दूसरे स्थान पर केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग और शिपिंग के राज्य मंत्री मनसुख मांडविया का नाम है. मांडविया पाटीदार समुदाय से आते हैं और जमीन से जुड़े नेता माने जाते हैं.
गुजरात में बीजेपी की जीत के बाद नरेंद्र मोदी ने दिल्ली स्थित पार्टी हेडक्वॉर्टर में कार्यकर्ताओं को जोश के साथ संबोधित किया. अमित शाह का भी जबर्दस्त स्वागत किया गया लेकिन कार्यकर्ताओं के बीच इस जीत के बाद भी एक अजीब सी खामोशी दिखाई दी. इसे पार्टी का शीर्ष नेतृत्व भी समझ रहा है. आने वाले वक्त में वह इसपर मंथन भी करेगा. यह भी साफ है कि मोदी-शाह इस जीत को बड़ी जीत न मानकर महत्वपूर्ण जीत मान रहे हैं. अब 2019 की लड़ाई में उतरने से पहले मोदी गुजरात में कोई चूक नहीं होने देना चाहेंगे.